US-Pakistan Expresses Concern Over CAA: नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए को लेकर देश में खुशी और गम, दोनों तरह की प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। इस बीच पाकिस्तान और अमेरिका ने इस पर टिप्पणी की है। पाकिस्तान ने सीएए को भेदभाव वाला कानून बताया है। वहीं, अमेरिका ने भी चिंता जाहिर की है। जब अमेरिका से पूछा गया कि क्या उन्हें डर है कि सीएए धार्मिक स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है, तो जवाब में कहा कि वे चिंतित हैं और इस पर बारीकी से नजर रखेंगे कि भारत इसे कैसे लागू करता है।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने डेली ब्रीफिंग में संवाददाताओं से कहा कि हम 11 मार्च को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम की अधिसूचना के बारे में चिंतित हैं। हम इस अधिनियम की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं कि यह अधिनियम कैसे लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और सभी समुदायों के लिए कानून के तहत सभी समुदायों के साथ बराबरी से पेश आना मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं।
#WATCH | On CAA implementation, US State Department Spokesperson Matthew Miller says, "We are concerned about the notification of Citizenship (Amendment) Act. We are closely monitoring
— ANI (@ANI) March 15, 2024
how this Act will be implemented. Respect for religious freedom and equal treatment under the… pic.twitter.com/55Xhog4Itp
मुमताज जहरा बोलीं- आस्था के आधार पर लोगों में भेदभाव पैदा करता है कानून
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा कि सीएए कानून का लागू होना हिंदू फासीवादी देश का भेदभावपूर्ण कदम है। यह कानून आस्था के आधार पर लोगों में भेदभाव पैदा करता है। सीएए इस गलत धारणा पर आधारित है कि मुस्लिम देशों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जा रहा है और भारत अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित देश है।
अब जानिए सीएए से जुड़ी 4 बातें
कब कानून लागू हुआ?
भारतीय नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए 11 मार्च को नोटिफाई हुआ। इस विधेयक को 2019 में संसद के दोनों सदनों से पारित किया गया था।
किसे मिलेगी नागरिकता?
इस कानून के जरिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता दी जाएगी। शर्त यह है कि 31 दिसंबर 2014 से पहले आए इन तीन देशों के नागरिकों को ही नागरिकता दी जाएगी। इनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग शामिल हैं। हकदार लोग आवेदन कर सकते हैं।
कहां करना होगा आवेदन?
आवेदन ऑनलाइन किए जाएंगे। जिसमें आवेदक को खुलासा करना होगा कि वह कब भारत आए। पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज न होने पर भी आवेदन कर पाएंगे। आवेदन की योग्यता अवधि 11 से घटाकर 5 वर्ष कर दी गई।
क्या भारतीय नागरिकों पर असर पड़ेगा?
भारतीय नागरिकों का सीएए से कोई सरोकार नहीं है। आलोचकों ने अधिनियम से मुसलमानों को बाहर रखने पर सरकार पर सवाल उठाया है, लेकिन गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सीएए उन देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वाले अल्पसंख्यकों की मदद करने के लिए है। उन्होंने कहा कि इन देशों के मुसलमान भी मौजूदा कानूनों के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए स्वतंत्र हैं।
सरकार ने कहा कि भारतीय मुसलमानों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि सीएए उनकी नागरिकता को प्रभावित नहीं करेगा और इसका उस समुदाय से कोई लेना-देना नहीं है, जिसे अपने हिंदू समकक्षों के समान अधिकार प्राप्त हैं। सरकार का कहना है कि सीएए नागरिकता देने के बारे में है और देश के किसी भी नागरिक की नागरिकता नहीं जाएगी।