Vasuki Indicus: वासुकी नाग की कहानी तो आपने जरूर सुनी होगी। वासुकी को भगवान शेषनाग का भाई माना गया है। भगवान शिव ने जिस सांप को गले में धारण किया है, वह वासुकी हैं। जब समुद्र मंथन हुआ तो रस्सी की जगह वासुकी को मेरु पर्वत पर बांधा गया था। वासुकी नाग की कई कहानियां हैं, जो सनातन धर्म से जुड़ी पौराणिक ग्रंथों और कहानियों में मिलती हैं। फिलहाल, अब गुजरात में खुदाई के दौरान IIT रुड़की के वैज्ञानिकों को कुछ ऐसा मिला है, जो इस तरह के विशालकाल जीवों के अस्तित्व की पुष्टि करता है।
वैज्ञानिकों ने कच्छ में सांपों के जीवाश्म को प्राप्त किया है। यह अब तक का सबसे बड़ा सांप है। इसकी लंबाई 11-15 मीटर और गोलाई 17 इंच थी। इसे वैज्ञानिकों ने वासुकी इंडिकस नाम दिया है। फिलहाल, आज का सबसे बड़ा जीवित सांप एशिया का 10 मीटर (33 फीट) का जालीदार अजगर है।
IIT Roorkee's Prof. Sunil Bajpai & Debajit Datta discovered Vasuki Indicus, a 47-million-year-old snake species in Kutch, Gujarat. Estimated at 11-15 meters, this extinct snake sheds light on India's prehistoric biodiversity. Published in Scientific Reports. #SnakeDiscovery pic.twitter.com/ruLsfgPQCc
— IIT Roorkee (@iitroorkee) April 18, 2024
2005 में खोजे गए थे जीवाश्म
IIT रुड़की के वैज्ञानिकों ने कहा है कि गुजरात में पाए गए जीवाश्म अब तक के सबसे बड़े सांप के अवशेष हैं, जो टी-रेक्स से भी लंबा था। 'वासुकी इंडिकस' की खोज 2005 में आईआईटी-रुड़की के वैज्ञानिकों ने की थी और हाल ही में इसकी पुष्टि एक विशालकाय सांप के रूप में हुई है। वैज्ञानिकों की इस खोज ने न सिर्फ प्राणियों के इवोल्यूशन का पता चला है बल्कि प्राचीन सरीसृपों से भारत के ताल्लुक का भी पता चलता है।
शुरुआत में माना गया था मगरमच्छ का जीवाश्म
ये जीवाश्म 2005 में ही मिले थे। लेकिन अन्य प्रोजेक्ट्स की प्राथमिकता के कारण इस पर गहन अध्यन नहीं हो पाया था। इनमें 27 बड़े-बड़े कंकाल के टुकड़े मिले थे। इनमें कुछ हड्डियां आपस में जुड़ी थीं। तब लोगों को लगा था कि ये विशाल मगरमच्छ जैसे जीव के अवशेष हैं। मगर अब खुलासा हुआ कि ये असल में दुनिया के अब तक के सबसे बड़े सांपों में से एक था।
शोधकर्ताओं ने कहा कि अस्थिखंड कुछ बड़े अजगर की तरह दिखते हैं और जहरीले नहीं होते। उनका अनुमान है कि सांप की लंबाई 11-15 मीटर (लगभग 50 फीट) के बीच होगी और इसका वजन 1 टन रहा होगा। यह शोध गुरुवार, 18 अप्रैल को 'स्प्रिंगर नेचर' पर 'साइंटिफिक रिपोर्ट्स' में प्रकाशित हुआ।
दलदली जगह पर रहता था वासुकी
आईआईटी-रुड़की में जीवाश्म विज्ञान में पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता और अध्ययन के मुख्य लेखक देबजीत दत्ता ने द गार्जियन को बताया कि बड़े आकार को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि वासुकी एक धीमी गति से हमला करने वाला शिकारी था, जो एनाकोंडा और अजगर की तरह अपने शिकार को लपेटकर अपने वश में कर लेता था। यह सांप उस समय तट के पास एक दलदली जगह में रहता था, जहां का तापमान आज की तुलना में अधिक था।
वजन एक टन से अधिक
आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर और जीवाश्म विज्ञानी सुनील बाजपेयी ने कहा कि वासुकी के शरीर की अनुमानित लंबाई टाइटनोबोआ के बराबर है। जो लगभग 60 मिलियन वर्ष पहले कोलंबिया में रहता था। इसकी लंबाई लगभग 50 फीट थी और इसका वजन एक टन से अधिक था। उन्होंने कहा कि यह जीवाश्म कच्छ के पनान्ध्रो गांव में उस क्षेत्र में पाया गया था, जो आज सूखा और धूल भरा है। लेकिन जब वासुकी पृथ्वी पर घूमता था तो यह दलदली था। जीवाश्म में अस्थिखंड तो मिले, लेकिन सिर नहीं मिला है।