Lok Sabha LoP: 18वीं लोकसभा के चुनावों के बाद देश में नई एनडीए सरकार बनने जा रही है। कार्यवाहक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार (9 जून) को शाम 7.15 बजे अपनी कैबिनेट के साथ पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण करेंगे। लेकिन सदन (लोकसभा और राज्यसभा) की कार्यवाही के सुचारू संचालन के लिए मजबूत विपक्ष होना भी जरूरी है। कांग्रेस पार्टी से राहुल गांधी को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष (LoP) बनाए जाने की मांग उठ रही है। शनिवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) बैठक में भी पार्टी नेताओं ने राहुल से यह जिम्मेदारी निभाने की अपील की।
राहुल गांधी बोले- मुझे सोचने का वक्त दीजिए
चुनाव नतीजों पर चर्चा के बाद सीडब्ल्यूसी मीटिंग खत्म हो गई, लेकिन 18वीं लोकसभा में लीडर ऑफ अपोजिशन कौन होगा? इस पर सस्पेंस बरकरार है। राहुल गांधी ने कहा है कि उन्हें इस बारे में सोचने के लिए समय दिया जाए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़ने ने कहा है कि इस पर फैसला पूरी तरह से विचार करने के बाद ही लिया जाएगा।
अब जानते हैं कि आखिर लोकसभा और सरकार के फैसलों में एलओपी की क्या भूमिका होती है? किस पार्टी से चुना जाता है नेता प्रतिपक्ष? इस पद पर रहने वाले नेता को क्या सुविधाएं मिलती हैं?
1) क्या नेता प्रतिपक्ष या LoP संवैधानिक पद है?
नहीं, यह विपक्ष का नेता या नेता प्रतिपक्ष कोई संवैधानिक पद नहीं है। इसे आधिकारिक तौर पर "विपक्ष के नेता का वेतन और भत्ता अधिनियम, 1977" के तहत मान्यता दी गई है।
2) किस पार्टी से कौन बन सकता है नेता प्रतिपक्ष?
चुनाव (लोकसभा/विधानसभा) में विपक्षी के सबसे बड़े दल को नेता प्रतिपक्ष पद मिलता है। लेकिन इसके लिए कुल सीटों की कम से कम 10% सीटें मिली हों। विपक्षी पार्टी या गठबंधन तय करता है कि किसे यह जिम्मेदारी सौंपनी है। अगर विपक्ष के किसी भी दल के पास कुल सीटों का 10% नहीं है, तो उस स्थिति में सदन में कोई भी विपक्ष का नेता नहीं हो सकता है।
3) नेता प्रतिपक्ष की क्या होती है भूमिका?
लोकसभा के सुचारू संचालन और सरकार के कामकाज पर बारीकी से नजर रखता है और देशहित में जनता के मुद्दों को उठाता है। लोकतंत्र की खूबसूरती के लिए यह पद काफी अहम है। नेता प्रतिपक्ष संसद में विपक्ष का नेता होता है।
4) विपक्ष के नेता को क्या मिलती हैं सुविधाएं?
लोकसभा/राज्यसभा/विधानसभाओं के नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट मंत्री के समान वेतन और भत्ते के साथ आधिकारिक मान्यता दी गई है। कई संसदीय समितियों और नियुक्तियों में एलओपी शामिल होते हैं और उनकी राय अहम मानी जाती है।
5) नेता विपक्ष के लिए कब तय हुआ था नियम?
1952 में हुए देश में पहले आम चुनाव के बाद पहली बार लोकसभा का गठन हुआ। इसी दौरान नेता प्रतिपक्ष के लिए 10% सीटें मिलने का नियम बना था। तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष जी. वी. मावलंकर ने यह नियम तय किया था। फिर 1977 में नेता प्रतिपक्ष वेतन भत्ता कानून बनाया गया था।