Zorawar Tank: भारतीय सेना के लिए अच्छी खबर है। हाई एल्टीट्यूड इलाकों के लिए लंबे समय से सेना में हल्के टैंकों की जरूरत महसूस की जा रही थी। जल्द ही लाइट वेट टैंक जोरावर (Zorawar) भारतीय सेना में शामिल हो जाएंगे। शनिवार (6 जुलाई) को डीआरडीओ ने गुजरात के हजीरा में अपने लाइट बैटल टैंक जोरावर एलटी (Zorawar Tank) की झलक दिखाई।
गलवान में हुई हिंसा के बाद बढ़ी लाइट टैंकों की जरूरत
बता दें कि साल 2020 में में चीन के साथ गलवान में हुई खूनी भिड़ंत के बाद भारतीय सेना को ऊंचे पहाड़ी इलाकों के लिए लाइट टैंक की आवश्यकता थी। उस समय चीन ने अपने कब्जे वाले तिब्बत से सटे लद्दाख बॉर्डर पर ZTQ टी-15 लाइट टैंक तैनात कर दिए थे। जिसके बाद भारत को भी ऐसे हल्के टैंक चाहिए थे। लेकिन भारत को टी-72 जैसे भारी टैंक तैनात करने पड़े थे। भारतीय सेना ने करीब 200 टैंकों को हवाई मार्ग से लद्दाख पहुंचाया था।
#WATCH | Hazira, Gujarat: As per DRDO chief Dr Samir V Kamath, the tank Zorawar is expected to be inducted into the Indian Army by the year 2027 after all trials.
— ANI (@ANI) July 6, 2024
L&T Executive Vice President Arun Ramchandani said that the joint development model has achieved big success and… https://t.co/qElIVwB079 pic.twitter.com/qG9nuFuuYJ
रिकॉर्ड दो सालों में तैयार हुआ जोरावर
डीआरडीओ ने इस टैंक को लार्सन एंड टूब्रो के साथ मिल कर तैयार किया है। वहीं, शनिवार को डीआरडीओ के चीफ डॉ. समीर वी कामत ने इस टैंक का जायजा लिया। खास बात यह है कि इस टैंक को रिकॉर्ड दो सालों में तैयार किया गया है। जल्द ही लद्दाख में इसके ट्रायल शुरू किए जाएंगे, जिनके अगले 12-18 महीनों में पूरा होने की उम्मीद है।
डिफेंस इक्विमेंट्स में भारत बन रहा आत्मनिर्भर
इसकी खास बात यह है कि भारत अब डिफेंस इक्विमेंट्स के मामले में आत्मनिर्भर हो रहा है। भारत अब अपने रक्षा उपकरण खुद बना रहा है। डीआरडीओ प्रमुख डॉ. कामत ने उम्मीद जताई कि सभी परीक्षणों के बाद इस टैंक को वर्ष 2027 तक भारतीय सेना में शामिल किए जा सकता है।
#WATCH | Visuals of light tank Zorawar developed jointly by DRDO and Larsen and Toubro.
— ANI (@ANI) July 6, 2024
The tank project being developed for the Indian Army was reviewed by DRDO chief Dr Samir V Kamath in Hazira, Gujarat today. pic.twitter.com/woh666qLCD
जोरावर टैंक की खूबियां
- जोरावर में 105 मिमी या उससे अधिक कैलिबर की गन लगी है, जिससे एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल दागीं जा सकती हैं।
- इसमें मॉड्यूलर एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर और एक एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम लगा है, जो इसे हमलों से सुरक्षित रखता है।
- बेहतर मोबिलिटी के लिए इसमें कम से कम 30 एचपी/टन का पावर-टू-वेट रखा गया है।
- इसके अलावा, इसमें ड्रोन लगाए गए हैं, साथ ही बैटल मैनेजमेंट सिस्टम भी लगाया गया है।