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पंचांग के अनुसार हर वर्ष अन्नपूर्णा जयंती मार्गशीर्ष या अगहन मास की पूर्णिमा तिथि को होती है। मान्यता है कि इस दिन मां पार्वती के रूप में देवी अन्नपूर्णा धरती पर प्रकट हुई थीं। 

Annapurna Jayanti 2023:  अन्नपूर्णा जयंती 26 दिसंबर को मनाई जा रही है। यह हिंदू धर्म का विशेष त्योहार है, जो मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन पड़ती है।  इस दिन देवी अन्नपूर्णा जी की पूजा किया जाता है। पंचांग के अनुसार हर वर्ष अन्नपूर्णा जयंती मार्गशीर्ष या अगहन मास की पूर्णिमा तिथि को होती है। मान्यता है कि इस दिन मां पार्वती के रूप में देवी अन्नपूर्णा धरती पर प्रकट हुई थीं। 
  
ज्योतिष के अनुसार अन्नपूर्णा जयंती के दिन घर पर पूजा-पाठ करने से धन-धान्य की कमी नहीं रहती है। इसलिए इस दिन लोग रसोईघर को साफ-सुथरा कर देवी अन्नपूर्णा की पूजा करते हैं। जहां देवी अन्नपूर्णा का वास होता है, उस घर पर कोई व्यक्ति भूखा नहीं रहता है। अन्नपूर्णा जयंती मनाने और देवी अन्नपूर्णा की पूजा करने के पीछे पौराणिक कथा प्रचलित है। यह भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ी है।

पौराणिक कथा (Mythological Story)
अन्नपूर्णा जयंती से जुड़ी एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार, एक बार पृथ्वी पर भयंकर सूखा पड़ गया था। सूखा पड़ने से धरती बंजर हो गई और फसलें सूख गई थी। देश में अकाल पड़ गया जल का अभाव हो गया चारों दिशाओं में हाहाकार मच गया। जब पूरी पृथ्वी अन्न-जल की कमी होने से संकट में आ गयी, तब पृथ्वीवासियों ने अपनी रक्षा के लिए त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) की पूजा करनी शुरू की दी।

तब रक्षा करने के लिए मार्गशीर्ष की पूर्णिमा तिथि में भगवान शिव भिक्षुक के रूप में पृथ्वी पर प्रकट हुए। उनके साथ ही माता पार्वती देवी अन्नपूर्णा के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुईं। भगवान शिव ने सबसे पहले  भिक्षुक के रूप में देवी अन्नपूर्णा यानी माता पार्वती से भिक्षा मांगा था।

देवी अन्नपूर्णा भगवान शिव को दान स्वरूप अन्न दिए। जिसे भगवान शिव ने अकाल से जूझ रहे लोगों में वितरित कर दिया और इस अन्न का प्रयोग कृषि कार्य के लिए किया गया। ऐसे में एक बार फिर से पृथ्वी अन्न से भर गई। इसी समय से मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाए जाने की परंपरा शुरु की गई। साथ ही इस दिन को देवी अन्नपूर्णा के अवतरण दिवस के रूप में भी मनाया जाने लगा।

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