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आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने अपनी नीति में यह भी बताया है कि ऐसे कौन से स्थान हैं, जहां पर इंसान को नहीं रहना चाहिए। आगे जानिये...

Chanakya Niti: नीति शास्त्र में आचार्य चाणक्य को सबसे महान महापुरुष कहा गया है। कहा जात है कि आचार्य चाणक्य के नीति पर चलने वाले व्यक्ति जीवन में कभी भी असफल नहीं होता है। ऐसे तो आचार्य चाणक्य अपनी नीति में तमाम पहलुओं के बारे में विस्तार से वर्णन किया है। लेकिन आज इस खबर में एक श्लोक के माध्य में से बता रहे हैं कि व्यक्ति को किस देश या स्थान को फौरन छोड़ देना चाहिए।

इस तरह के स्थानों को तुरंत छोड़ें

आचार्य चाणक्य अपनी नीति शास्त्र में बताया है कि किस तरह के देश या स्थान को तुरंत छोड़ देना अति उत्तम होता है। साथ ही चाणक्य ने ये भी बताया है कि ऐसी कौन सी ऐसी चीजें हैं, जिनका होना बहुत ही जरूरी होता है। यदि वे चीजें नहीं होती हैं, तो मनुष्य को उस स्थान पर एक पल नहीं रहना चाहिए। तो आज इस खबर में आचार्य चाणक्य के उन पांच चीजों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

पहला श्लोक के माध्यम से आचार्य द्वारा कहीं गई बातें

यस्मिन् देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवाः।

न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत् ॥

आचार्य चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से कहते हैं कि जिस देश में आपका मान-सम्मान नहीं है और न ही आजीविका का कोई साधन है, जहां कोई आपके बंधु या रिश्तेदार भी नहीं और न ही किसी प्रकार की विद्या है, तो ऐसे देश और जगहों को तुरंत छोड़ देना चाहिए। आचार्य चाणक्य के अनुसार ऐसे स्थान पर रहना उचित नहीं होता है।

दूसरी चीज

नीति शास्त्री आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी देश या स्थान पर जाने का उद्देश्य वहां जाकर कोई नई विद्या, नई बात, रोजगार या नया गुण सीखना होता है, लेकिन यदि आप जहां जाते हैं अगर वहां ये चीजें नहीं हैं, तो आपको उस देश या स्थान को तुरंत छोड़ देना चाहिए।

तीसरी चीज

धनिकः श्रोत्रियो राजा नदी वैद्यस्तु पञ्चमः।

पञ्च यत्र न विद्यन्ते न तत्र दिवसं वसेत ॥

अर्थशास्त्री चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से कहना चाहते हैं कि जिस स्थान पर श्रोत्रिय यानी वेद को जानने वाला ब्राह्मण, धनिक, नदी, राजा और वैद्य ये 5 चीजें न हो उस स्थान पर व्यक्ति को एक क्षणिक पल भी नहीं रुकना चाहिए।

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डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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