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Vasudeva dwadashi 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वासुदेव द्वादशी का व्रत रखा जाता है। बता दें कि इसी व्रत के साथ चातुर्मास की भी शुरुआत हो जाती है।

Vasudeva dwadashi 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वासुदेव द्वादशी का व्रत रखा जाता है। बता दें कि इसी व्रत के साथ चातुर्मास की भी शुरुआत हो जाती है। इस व्रत में भगवान कृष्ण के साथ माता लक्ष्मी जी की पूजा- अर्चना की जाती है। वासुदेव द्वादशी को भगवान विष्णु के अलग- अलग नाम जिसे श्रीकृष्ण द्वादशी, हरिबोधनी द्वादशी और देवोत्सर्ग द्वादशी से भी जाना जाता है। इस साल यह तिथि 18 जुलाई को है। 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी इस व्रत को करता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही उसके जीवन में सुख और समृद्धि आती है। धार्मिक कथाओं के अनुसार इस व्रत के बारे में महर्षि नारद ने भगवान विष्णु और माता देवकी को बताया था। वहीं इस व्रत को करने से माता लक्ष्मी भी बहुत प्रसन्न होती है। जिससे उसके घर में कभी भी धन- धान्य की कमी नहीं होती। 

शुभ मुहूर्त
तिथि का आरंभ बुधवार यानी 17 जुलाई 2024 की रात 09 बजकर 03 मिनट पर होगा। जबकि इसका समापन 18 जुलाई 2024 की रात 08 बजकर 44 मिनट पर होगा।
 
पूजा विधि

  • वासुदेव द्वादशी व्रत के दिन प्रातः काल उठकर नित्यकर्म से निवृत होकर व्रत का संकल्प लें। 
  • इसके बाद भगवान की प्रतिमा या तस्वीर को आसन पर स्थापित कर दें।
  • अब पूजा के स्थान पर कलश की स्थापना करें और दीपक को जलाएं। 
  • इसके बाद फल, फूल, अक्षत और पंचामृत को भगवान कृष्ण और माता लक्ष्मी को अर्पित करें।
  • पूजा के अंत में व्रत कथा पढ़कर आरती करें।

आकांक्षा तिवारी

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