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Putrada Ekadashi: पुत्रदा पवित्रा एकादशी पर व्रत रखने से निःसंतान दंपति को पुत्र की प्राप्ति होती है। इस बार उदया तिथि के चलते असमंजस की स्थिति बन रही है, ऐसे में कुछ लोग 15 तो कुछ 16 अगस्त को व्रत रखेंगे। सावन माह के के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है।

Putrada Ekadashi: पुत्रदा पवित्रा एकादशी प्रीति योग में मनाई जाएगी। हालांकि इस बार पुत्रदा एकादशी उदया तिथि के चलते असमंजस की स्थिति बन रही है, ऐसे में कुछ लोग 15 तो कुछ 16 को व्रत रखेंगे। मां चामुंडा दरबार के पुजारी गुरु पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि प्रत्येक वर्ष सावन माह के के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है।

मनोकामनाओं की पूर्ति
इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के पूजन का विधान है, साथ ही उनके निमित्त व्रत भी रखा जाता है। भगवान शिव संतान, सुख, संपदा समेत सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाले हैं। उनके इस प्रिय मास सावन में पुत्र प्राप्ति के लिए विशेष व्रत पुत्रदा एकादशी पड़ती है, जिसमें भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, उनकी कृपा से व्रत करने वाले को पुत्र की प्राप्ति होती है। हिन्दी पंचाग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष श्रावण पुत्रदा एकादशी बुधवार को है।

वर्ष में दो बार पुत्रदा एकादशी आती है। एक श्रावण मास में और दूसरी पौष मास में। इस बार सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी की शुरुआत 15 अगस्त को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर होगी, जबकि इसका समापन 16 अगस्त को सुबह 9 बजकर 39 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, पुत्रदा एकादशी 16 अगस्त मनाई जाएगी। ऐसे में कुछ लोग 15 को तो कुछ लोग 16 अगस्त को व्रत व पूजन करेंगे।

साग-भाजी से बने झूले में प्रभु श्रीनाथ को झूलाया
पुराने शहर के लखेरापुरा हिंडोला उत्सव में मंगलवार को श्रीजी मंदिर में प्रभु श्रीनाथ के लिए प्रभु श्रीनाथजी को हरे वस्त्र और सर पर किरीट मुकुट के साथ माणिक्य आभूषणों से श्रृंगार किया गया। संध्या काल में प्रभु को खाता माटी के बने हिंडोले में विराजमान किया गया, जिसमें लगभग 40 किलो सब्जी का उपयोग किया गया।

इसमें मौसम की भिंडी, लौकी गिलकी, कॉर्न, तुरई, मिर्ची, बरबटी आदि सब्जियों का उपयोग कर कलात्मक झूला तैयार किया गया। श्रद्धालुओं ने प्रभु को झुलाया। मंदिर के मुखिया पंडित श्रीकांत शर्मा ने बताया कि 14 अगस्त को प्रमु नियम के बगीचे में विराजमान होकर दर्शन देंगे, जिसके तहत मंदिर के आंगन में अनेक लता पताओं से चमीचे का निर्माण किया जाएगा। 15 अगस्त को प्रभु कुंज में विराजमान होंगे। 16 अगस्त एकादशी को प्रभु को सूत एवं रेशम से बने वस्त्र पहनाए जाएंगे।

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