Gaya Ji Pindaan Parampara: 17 सितंबर 2024, मंगलवार से पितृ पक्ष की शुरुआत होने जा रही है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण करते हैं। लेकिन, यदि किसी व्यक्ति के जीवन में पितृ दोष चल रहा है तो, उसे गया में पिंडदान करना आवश्यक माना गया है। पितृ दोष की वजह से जीवन में चल रहे संकटों के निवारण के लिए गया में जाकर पिंडदान और तर्पण करना चाहिए। जानते है पितृ दोष क्या है, लक्षण और महत्व।
पितृदोष क्या है?
(Pitradosh Kya Hai)
अगर किसी व्यक्ति के जीवन में पितृदोष है तो, इसका सीधा सा अर्थ है कि उसके पूर्वजों की आत्मा अशांत है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं हुई है। कहा जाता है कि, व्यक्ति के पितर अपने कर्मों या फिर किसी अन्य वजह से मुक्ति नहीं पाते है तो, उनकी आत्मा इसी संसार में भटकती रहती है। ऐसी स्थिति में उसके वंशज का जीवन संकटों से भर जाता है। इसी संकट को हम पितृ दोष के नाम से जानते है।
पितृ दोष के लक्षण
(Pitradosh Ke Lakshan)
जिस भी व्यक्ति के पितृ दोष चल रहा है, उसके जीवन में व्यक्तिगत, सेहत और संतान से जुड़ी परेशानियां उत्पन्न होने लगती है। जैसे कि, बार -बार गर्भपात होना, संतान का न होना, संतान की सेहत बिगड़ना, पैसे की तंगी, वैवाहिक जीवन में असंतोष और भिन्न-भिन्न तरह की बीमारियों से शरीर ग्रस्त रहना। इस तरह की समस्याएं पितृ दोष की वजह से हो सकती है। इसलिए धर्म शास्त्रों में 'पिंडदान' इसका सबसे बेहतर उपाय बताया गया है। जानते है इसके बारे में-
'गया जी' जाकर करें पितरों का पिंडदान
भारतवर्ष में पितरों का पिंडदान करने का सबसे मुख्य स्थल 'गया जी' है। यह बिहार राज्य में स्थित है। हमारे धर्म-शास्त्रों में पितरों की पूजा के रुप में पिंडदान, तर्पण, और श्राद्ध जैसे कई कार्य बताये गए है। इनके लिए पूरा एक पखवाड़ा का समय होता है। मान्यता है कि, इन 15 दिनों में पितर पृथ्वी लोक में विचरण करते है। हिंदू धर्म में पितरों की आत्मा को मोक्ष प्राप्त करवाने के लिए 'गया जी' को सबसे पवित्र स्थल माना गया है। कहा जाता है कि, गया धाम में पिंडदान करने से 108 कुल और 7 पीढ़ियों तक का उद्धार हो जाता है। साथ ही व्यक्ति का परिवार पितृऋण से भी मुक्त हो जाता है।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।