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सनातन धर्म में 16 संस्कारों का विशेष महत्व है, इन 16 संस्कारों में से एक है विवाह का संस्कार। जो न सिर्फ दो लोगों को एक रिश्ते में बांधता है, बल्कि दो परिवारों को भी एक बनाता है।

(रुचि राजपूत)

Haldi Lagane ka Mahatva : हिंदू धर्म के विवाह में अनेक रीति-रिवाज और संस्कृति समाहित हैं, जिनमें से एक हल्दी की रस्म भी है। हल्दी की रस्म एक प्रकार का पूर्वांग सौंदर्यिक संस्कार है जो विवाह से पहले दुल्हन और दुल्हे को किया जाता है। इन संस्कारों के बिना हिंदू धर्म का विवाह अधूरा माना जाता है। ये रिति रिवाज सदियों पुराने हैं लेकिन अभी तक निभाए जाते हैं। आज भी इन संस्कारों का उतना ही महत्व है। आइए जानते हैं हरदा के रहने वाले पंडित एवं ज्योतिषी धर्मेंद्र दुबे से इस रस्म का धार्मिक महत्व है और इससे जुड़े शुभ संकेत के बारे में।

हल्दी की रस्म में दुल्हन और दुल्हा को हल्दी, दही, और अन्य सुगंधित और आरोमाटिक सामग्री से बने मिश्रण से अच्छे से स्नान कराया जाता है। इसके बाद, उनके शरीर पर हल्दी का पेस्ट लगाया जाता है।

हल्दी की रस्म का धार्मिक महत्व है क्योंकि इसे सुहाग का संकेत भी माना जाता है और इसे विवाहीता की शुरुआत के लिए शुभ और सौभाग्यपूर्ण माना जाता है। हल्दी की रस्म निभा कर दुल्हन की सुंदरता को बढ़ाया जाता है।

इस रस्म के अलावा भी हिंदू विवाह में अन्य कई रीति-रिवाज होते हैं जो सामाजिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक महत्व के साथ जुड़े होते हैं। इन रस्मों का पालन करना विवाहीता के जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति के लिए माना जाता है।

हल्दी की रस्म विवाह से पहले होने वाला एक धार्मिक संस्कार है जिसमें नए जीवन की शुरुआत के लिए सुगंधित हल्दी का उपयोग किया जाता है। इस रस्म में दुल्हा-दुल्हन के शरीर पर हल्दी लगाई जाती है, जिसे उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने और उन्हें ऊर्जा और प्रेम से भर देने के लिए निभाई जाती है। हल्दी की यह रस्म सामाजिक समर्पण और एकता को प्रकट करने का माध्यम मानी जाती है।

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