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इंदिरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और सच्चे मन से व्रत रखने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। तो आइए इंदिरा एकादशी के पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं।

Indira Ekadashi 2024 Vrat Puja Vidhi: वैदिक पंचांग के अनुसार, इस समय पितृपक्ष चल रहा है, ऐसे में इस दौरान पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है। मान्यता है कि पितृपक्ष में पितृ देव धरती लोक पर आते हैं और वे अपनी संतान से श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण का उम्मीद करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि पितृ देव तृप्त हो जाते हैं तो घर में सुख-शांति और धन संबंधित सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

ज्योतिष शास्त्र में पितरों की मुक्ति के लिए एक व्रत के बारे में बताया गया है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से आप अपने पितरों को मोक्ष दिला सकते हैं।

ज्योतिषियों के अनुसार, पितरों की मुक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ व्रत इंदिरा एकादशी है। इंदिरा एकादशी का व्रत विधि-विधान से करने से पितर देव प्रसन्न होते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं इंदिरा एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और उपाय।

इंदिरा एकादशी शुभ मुहूर्त

दृक पंचांग के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत तीन दिन बाद यानी 28 सितंबर दिन शनिवार को है। इंदिरा एकादशी का व्रत अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। एकादशी तिथि की शुरुआत 27 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 20 मिनट से हो रही है और समापन 28 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 49 मिनट पर होगा। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह के 6 बजकर 13 मिनट पर है। वहीं पारण का मुहूर्त 29 सितंबर दिन रविवार को सुबह 8 बजकर 36 मिनट तक है।

इंदिरा एकादशी की पूजा विधि

यदि आप पितरों को प्रसन्न और मोक्ष दिलाना चाहते हैं, तो  27 सितंबर को सात्विक भोजन ग्रहण करें। उस दिन नदी में स्नान करें और पितृ देवों को विधि-विधान से पूजा-पाठ करें।

ज्योतिषियों के अनुसार, 28 सितंबर के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक क्रियाक्रमों से मुक्त होकर स्नान-ध्यान करें। उसके बाद साफ-सुथरा वस्त्र धारण करें। बाद में जल लेकर इंदिरा एकादशी व्रत और पूजा का संकल्प करें।

उसके बाद भगवान विष्णु जी की विधि-विधान से पूजा करें। गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराएं। स्नान कराने के बाद श्री हरि भगवान विष्णु को पीले फूल, अक्षत, दूध, दही, शहद और तुलसी आदि अर्पित करें और सच्चे मन से पूजा करें।

पूजा करते समय में विष्णु सहस्रनाम और इंदिरा एकादशी व्रत का कथा अवश्य पढ़ें। कथा के बाद आरती करें और दिन भर उपवास करें। रात्रि के समय में जागरण करें। अगले दिन शुभ मुहूर्त में स्नान-ध्यान और पूजा के बाद पारण करें।

इंदिरा एकादशी का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इंदिरा एकादशी के दिन व्रत रखने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही, पितृ देव प्रसन्न भी होते हैं। मान्यता है कि जो लोग इंदिरा एकादशी के दिन सच्चे मन से व्रत रखते हैं उन पर भगवान विष्णु का आशीर्वाद बना रहता है।

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