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Deepawali 2024: दिवाली को लेकर लोगों के मन में कन्फ्यूजन बना हुआ है। अयोध्या में दीपावली 1 नवंबर को मनाई जाएगी। दूसरी तरफ काशी, बिहार और अन्य शहरों के पंडित व ज्योतिषी 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने की बात कहते हैं। यहां कन्फ्यूजन दूर करें।

Deepawali 2024: सनातन धर्म में दीपोत्सव का पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। इस बार दिवाली को लेकर कन्फ्यूजन का विषय बना हुआ है। माना जा रहा है कि इस साल दीपावली दो दिन यानी 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को मनाई जाएगी। अलग-अलग जगहों के ज्योतिषाचार्य का अलग-अलग मत बन रहा है। अयोध्या में दीपावली का त्योहार 1 नवंबर को मनाने की बात हो रही है।

वहीं, काशी ( बनारस) के ज्योतिषाचार्य का मानना है कि दीपावली 31 नवंबर को मनाई जाएगी। वृंदावन, बिहार और मेरठ ( उत्तर प्रदेश ) के ज्योतिषाचार्य के अनुसार, दीपावली व लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त 31 अक्टूबर को है। दीपावली को लेकर लोगों के मन में कन्फ्यूजन बना हुआ है। लेकिन घबराने वाली बात नहीं है, आज इस खबर में राष्ट्रीय पंचांग से लेकर अयोध्या, वृंदावन-मथुरा, काशी-बनारस, बिहार और मेरठ के ज्योतिषाचार्य के मत से जानेंगे कि दीपावली का पर्व कब मनाया जाएगा।

राष्ट्रीय पंचांग में दीपावली
राष्ट्रीय पंचांग की बात करें, तो देश का राष्ट्रीय पंचांग तैयार करने वाली वैज्ञानिक संस्था पोजिशनल एस्ट्रोनॉमी सेंटर कोलकाता की कैलेंडर के अनुसार, दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

क्या कहते हैं अयोध्या के ज्योतिष
अयोध्या के ज्योतिष राघवेंद्र प्रताप तिवारी जी के अनुसार, राम मंदिर अयोध्या में दीपावली व लक्ष्मी पूजन 1 नवंबर को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, 1 नवंबर को लक्ष्मी पूजन का समय शाम के 6 बजे से लेकर रात्रि के 12 बजे तक है। यह शुभ मुहूर्त बहुत ही मंगलकारी है। पंडित जी बताते हैं कि इस शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा करना शुभ फलदायी रहेगा।

Deepawali 2024
Deepawali 2024

काशी-बनारस के ज्योतिषाचार्य
काशी के ज्योतिषाचार्य अमरेश पांडेय जी का कहना है कि कार्तिक माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 12 मिनट पर हो रही है और समाप्ति अगले दिन यानी 1 नवंबर को शाम 5 बजकर 13 मिनट पर होगी। पंडित जी के अनुसार, 1 नवंबर शाम 5 बजकर 12 मिनट के बाद प्रतिपदा तिथि की शुरुआत हो जाएगी। यानी 31 अक्टूबर की रात ही व्यापनी अमावस्या लग रही है।

ज्योतिषियों के अनुसार, लक्ष्मी पूजन के लिए प्रदोष काल सबसे उत्तम मुहूर्त माना गया है। इसलिए 31 अक्टूबर को सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल का समय 2 घंटे 24 मिनट रहेगा। शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी पुजन का सबसे उत्तम मुहूर्त है। पंडित जी का कहना है कि प्रतिपदा तिथि में लक्ष्मी पूजन का विधान नहीं है।

बिहार के पंडित जी का मत
दीपावली मनाने के संबंध में पंडित ललन तिवारी का कहना है कि कार्तिक माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 31 नवंबर को शाम 5 बजकर 12 मिनट पर होगी और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त प्रदोष काल है। इसलिए दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

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