Nag Panchami 2024: नागपंचमी का पर्व हिंदू धर्म के प्रमुख पर्व में से एक है। यह पर्व नागो और सांपो की पूजा के लिए समर्पित है । इस दिन शिव जी के परमप्रिय नागदेवता की पूजा का विधान है। नागपंचमी के दिन नाग की पूजा करना उत्तम माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार आज नागो की पूजा करने से मनुष्य को आध्यात्मिक शक्ति, मनोवांछित फल और अपार धन संपत्ति की प्राप्ति होती है और साथ ही भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मां शारदा देवीधाम मैहर के प्रख्यात वास्तु एवं ज्योतिर्विद पंडित मोहनलाल द्विवेदी ने बताया कि हिंदू धर्म में नाग पंचमी के त्योहार का खास महत्व है। नाग जाति के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव प्रदर्शित करते हुए दूध, लावा चढ़ाकर उनकी पूजा की जाती है । सर्प जाति की भी पूजा करना और उनकी महिमा मंडित करते हुए देवतुल्य मानना केवल सनातन धर्म की उदात्तभाव परंपरा में ही संभव है । यह बल, पौरुष, ज्ञान और तर्कशक्ति के परीक्षण का भी पर्व है । नागपंचमी सावन के महीने में मनाई जाती है। सावन का महीना भगवान शिव और नाग की पूजा के लिए सबसे उत्तम महीना माना गया है।
नागदेवता की होती है पूजा
नागपंचमी के दिन नागदेवता को दूध चढ़ाया जाता है। इसके साथ ही इस दिन नागदेवता की विधिवत पूजा की जाती है तथा जो भी इस दिन नागदेवता की पूजा करता है, उसकी मृत्यु कभी सांप के काटने से नहीं होती है। हर साल नागपंचमी सावनमास की शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन नागदेवता की पूजा करने से सारी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। साथ ही अगर ज्योतिष के दृष्टिकोण से देखे तो इस दिन कालसर्पदोष/सर्पदोष की पूजा होती है मतलब जिन जातकों की कुंडली में कालसर्पदोष/सर्पदोश या राहुदोष हो वे जातक आज भगवानशिव का रुद्राभिषेक करवाकर इसके अशुभ प्रभाव को कम कर सकते है ।
सिद्धयोग में नाग पंचमी
इस वर्ष पंचमी तिथि गुरुवार की रात्रि 09.50 बजे से शुरू होकर शुक्रवार/शनिवार की मध्यरात्रि 11.51 बजे समाप्त हो रही है । गुरुवार/शुक्रवार की मध्यरात्रि 12.44 बजे से शुक्रवार दोपहर 01.25 बजे तक सिद्धयोग भी बना हुआ है जो इस पर्व की महत्ता को और अधिक बढ़ा रहा है।
नागपंचमी की पूजा विधि
- पंडित द्विवेदी बताते है कि इस व्रत के देवता आठ नागों को माना जाता है। इस दिन अनंत, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नामक आठ नागों की पूजा की जाती है।
- चतुर्थी के दिन एक समय भोजन करें और पंचमी के दिन व्रत करके शाम को एक समय भोजन करें।
- पूजा के लिए लकड़ी के चौकी पर सांप की मिट्टी की प्रतिमा या मूर्ति को स्थापित किया जाता है।
- फिर हल्दी, रोली (लाल सिन्दूर), चावल और फूल चढ़ाकर नागदेवता की पूजा की जाती है।
- फिर कच्चा दूध, घी और चीनी मिलाकर लकड़ी के पटरे पर बैठे नागदेवता को अर्पित किया जाता है।
- पूजा के बाद नागदेवता की आरती की जाती है।
- अपनी इच्छा अनुसार आप सपेरे को कुछ दक्षिणा दे सकते हैं और यह दूध सांप को पिला सकते हैं।
नागपंचमी का महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार प्राचीन काल से ही सांपों को देवता के रूप में पूजा जाता रहा है। इसलिए नागपंचमी के दिन नाग पूजा का बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग नागपंचमी के दिन नाग की पूजा करते हैं, वे सांप के काटने से सुरक्षित रहते हैं। मान्यता है कि इस दिन नाग को दूध से स्नान कराकर उसकी पूजा की जा सकती है और नाग को दूध पिलाने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन घर के प्रवेश द्वार पर सांप की मूर्ति बनाने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि यह घर को सांप के प्रकोप से बचाता है।