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Navratri 2024: भारत में आयोजित होने वाले कुछ प्रसिद्ध शारदीय नवरात्र उत्सव के पारंपरिक-सांस्कृतिक रंगों पर एक नजर।

शैलेंद्र सिंह। आस्था, श्रद्धा और भक्ति के पावन पर्व शारदीय नवरात्र आरंभ होते ही हर तरफ उमंग-उल्लास का माहौल बन जाता है। उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक, देश के हर हिस्से में इस महापर्व के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं। देश में आयोजित होने वाले कुछ प्रसिद्ध शारदीय नवरात्र उत्सव के पारंपरिक-सांस्कृतिक रंगों पर एक दृष्टि।

शारदीय नवरात्र को भारत में त्योहारों का आरंभ भी कहा जाता है। दरअसल, मानसून के बाद 15 दिन के पितृ पक्ष होते हैं, जब कोई भी महत्वपूर्ण और शुभ काम नहीं किया जाता। इसके बाद ही नवरात्र आरंभ होते हैं और नवरात्र के साथ ही त्योहारों की मानो शृंखला शुरू हो जाती है। शारदीय नवरात्र के नौ दिन पूरे होने के बाद दसवें दिन असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक के रूप में दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इसके बाद करवा चौथ, धनतेरस, रूप चौदस, छोटी दीवाली, बड़ी दीवाली, गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, भाई-दूज, छठ-पूजा, गोपाष्टमी, देवउठनी एकादशी, गुरुनानक जयंती आदि पर्वों त्योहारों की झड़ी लग जाती है। जहां तक शारदीय नवरात्र की बात है, तो यह पूरे देश को उत्सव के रंग-बिरंगे धागों से बांधने वाला पर्व है। शारदीय नवरात्र में देश में अलग-अलग जगहों पर उत्सव के अलग-अलग रंग देखने को मिलते हैं।

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मैसूर का प्रसिद्ध नवरात्र उत्सव
कर्नाटक के मैसूर में दशहरे का दस दिनों तक चलने वाला रंगारंग त्योहार, नवरात्र के पहले दिन से आरंभ होता है और दसवें दिन तक चलता है। यह देश में ही नहीं विदेशों में भी बहुत मशहूर नवरात्र का त्योहार है। विजय नगर के राजाओं ने 14वीं-15वीं शताब्दी में इसे मनाने की शुरुआत की थी। प्रसिद्ध इतालवी यात्री निकोलो डी कोंटी ने अपने यात्रा वृत्तांत में इसे ‘उल्लास का भव्यतम पर्व’ कहा था। इस नवरात्र पर्व में मां दुर्गा को योद्धा देवी (चामुंडेश्वरी) के रूप में पूजा जाता है। दस दिनों के मैसूर महोत्सव में धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजनों के अलावा और भी कई तरह के आयोजन किए जाते हैं। देशभर के कई पहलवान जहां अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हैं, वहीं देश के कोने-कोने से आए गायक, नर्तक अपनी कलाओं का बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं। साथ ही इस महोत्सव में शानदार आतिशबाजी, भव्य परेड जैसा बहुत कुछ देखने को मिलता है।

गुजरात में गरबा-डांडिया की बहार
नवरात्र के रंगारंग पर्व की बात हो और गुजरात का जिक्र ना हो, ऐसा कैसे हो सकता है! डांडिया और गरबा दरअसल, नृत्यमय भक्ति के ही रूप हैं। नौ दिनों तक गुजरात के सारे छोटे-बड़े शहरों से लेकर गांव-कस्बों में डांडिया और गरबा नृत्यों की धूम रहती है। नवरात्र के दौरान अहमदाबाद, बड़ौदा, सूरत, राजकोट, भावनगर, नवसारी इन सभी छोटे-बड़े शहरों में सैकड़ों पंडाल लगते हैं। हर साल नवरात्र के दौरान गरबा एवं डांडिया के आकर्षण में बंधे बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक गुजरात आते हैं। इस साल तो कई वैश्विक एजेंसियों ने पर्यटन के लिहाज से ‘बेस्ट प्लेस इन इंडिया फॉर नवरात्र सेलिब्रेशन’ के लिए गुजरात के विभिन्न शहरों को चुना है।

कुल्लू घाटी में सांस्कृति उत्सव 
नवरात्र के दौरान हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी पूरी तरह से फेस्टिव-मोड में आ जाती है। दस दिनों की शृंखला वाले इस त्योहार के दौरान जगह-जगह कई तरह की भाव-भंगिमाओं वाले नृत्य, गायन और पारंपरिक लोकगीतों की प्रस्तुति चलती रहती है। इन दिनों यहां चलने वाली रघुनाथ रथ यात्रा, दर्शकों का मन मोह लेती है। आज के आधुनिक युग में परंपरागत रथों के काफिले के रूप में जब यह यात्रा निकलती है, तो इसकी छटा देखते ही बनती है। कुल्लू घाटी का नवरात्र उत्सव, पूरी दुनिया में मशहूर है। इस दौरान यहां बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी भी आते हैं।

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अद्वितीय है बंगाल की दुर्गा पूजा 
शारदीय नवरात्र में संपन्न होने वाले सभी तरह के कार्यक्रमों में कोलकाता (बंगाल) की दुर्गा पूजा का विशेष महत्व एवं स्थान है। शारदीय नवरात्र में कोलकाता को पूजा और पंडालों के शहर के रूप में जाना जाने लगता है। शारदीय नवरात्र, आरंभ होने से पहले ही यहां देश-दुनिया के कोने-कोने से भक्त और पर्यटक आकर डेरा जमा लेते हैं, ताकि उन्हें कोलकाता के विशेष दुर्गा पूजा महोत्सव में शामिल होने का मौका मिल सके। कोलकाता के दुर्गा पूजा महोत्सव में देश के अलग-अलग हिस्सों में नवरात्र के दौरान में मनाए जाने वाले उत्सवों का सम्मिलित रूप भी देखने को मिलता है।

वाराणसी में गंगा तट का उत्सव 
उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे बसे भारत के प्राचीन शहर वाराणसी या बनारस में नवरात्र का कुछ अलग ही आकर्षण होता है। इन दिनों वाराणसी घूमने जाने वाले लोग शाम के समय गंगा आरती के साक्षी बनते हैं तो गंगा के उस पार रामनगर में कई दशकों से आयोजित होने वाली ऑर्गेनिक रामकथा के मंचन का भी आनंद लेते हैं। नवरात्र के इस आनंदोत्सव में कर्मकांड, संगीत, गायन और भजन की जो छटा बिखरती है, वो देखने वाली होती है।

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