Navratri kalash sthapana muhurat: गुरुवार (3 अक्टूबर) से पंचमहायोग में नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। इस बार घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:15 से 7:21 तक का है। जिन लोगों ने इस समय घट स्थापना की है, उन्हें देवी की विशेष कृपा मिलेगी। घटस्थापना के अभिजित मुहूर्त का समय 11:46 से 12:33 बजे तक रहेगा, जिसे ज्योतिषाचार्य अति शुभ मानते हैं।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार तृतीया तिथि दो दिनों तक रहेगी, जिससे अष्टमी और महानवमी की पूजा 11 तारीख को होगी और दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस बार भी नौ दिनों तक देवी पूजा का अवसर मिलेगा, जो खास है।
नवरात्रि का पहला दिन: शैलपुत्री की पूजा और विशेष महत्व
नवरात्रि का पहला दिन देवी शैलपुत्री की पूजा के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि शैलपुत्री जीवन में स्थिरता और साहस का आशीर्वाद देती हैं। आज के दिन पीले कपड़े पहनकर उनकी पूजा करनी चाहिए। घट स्थापना का मुहूर्त केवल दो विशेष समय पर रहेगा। इससे देवी की कृपा प्राप्त होगी। देवी की पूजा विधि सरल है और श्रद्धालु इसे अपने घर पर आसानी से कर सकते हैं।
दुर्गा पूजा विधि:
दुर्गा पूजा हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है और यह नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से की जाती है। दुर्गा पूजा में मां दुर्गा की आराधना करने के लिए शास्त्रों के अनुसार विधि-विधान का पालन करना आवश्यक माना जाता है। यहां एक सरल और पारंपरिक दुर्गा पूजा विधि दी गई है, जिसे श्रद्धालु अपने घर पर भी आसानी से कर सकते हैं:
1. सामग्री की तैयारी
दुर्गा पूजा के लिए कुछ आवश्यक सामग्री की जरूरत होती है, जिनमें निम्नलिखित चीजें शामिल हैं:
- कलश (मिट्टी या तांबे का)
- देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र
- सिंदूर, चावल, फूल, पान के पत्ते, सुपारी, नारियल
- धूप, दीप, कपूर
- मिठाई या नैवेद्य
- लाल वस्त्र या चुनरी
- आम के पत्ते
कैसे करें कलश स्थापना
पूजा का पहला चरण कलश स्थापना होता है। इसे शुभ मुहूर्त में किया जाता है। कलश को स्वच्छ जल से भरें, उसमें कुछ चावल, एक सुपारी और कुछ सिक्के डालें। कलश के मुख पर आम के पत्ते रखें और इसके ऊपर नारियल रखें। यह कलश मां दुर्गा का प्रतीक होता है।
जानें, देवी दुर्गा की स्थापना कैसे करें
मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र को साफ जगह पर स्थापित करें। मूर्ति के सामने एक चौकी या पीढ़ा रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। फिर मूर्ति को उस पर विराजमान करें और उनके समक्ष दीप जलाएं।
पूजा शुरू करने से पहले ध्यान रखें ये बात
पूजा शुरू करने से पहले स्वच्छता का ध्यान रखें और आसन पर बैठें। फिर मां दुर्गा का आह्वान करें। उनके समक्ष हाथ जोड़कर प्रार्थना करें और कहें, "हे मां दुर्गा, कृपया इस पूजा को स्वीकार करें और हमें अपनी कृपा से आशीर्वाद दें।"
क्या है मां दुर्गा की पूजन विधि:
- सबसे पहले मां को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्नान कराएं।
- फिर शुद्ध जल से मूर्ति को साफ करें और उसे सुंदर वस्त्र (लाल चुनरी) पहनाएं।
- मां दुर्गा को सिंदूर, अक्षत (चावल) अर्पित करें।
- उन्हें फूल और चंदन अर्पित करें। पान के पत्ते, सुपारी और मिठाई का नैवेद्य चढ़ाएं।
- धूप और दीप जलाएं और मां की आरती करें।
जानें, नैवेद्य में क्या अर्पण करें
मां को प्रसाद (नैवेद्य) अर्पित करें, जिसमें फल, मिठाई, और अगर हो सके तो खीर या अन्य मिठाई शामिल करें। इसके बाद प्रार्थना करें कि मां आपकी भेंट को स्वीकार करें। पूजा का अंत मां की आरती से करें। आरती के लिए कपूर जलाएं और पूरे परिवार के साथ मिलकर दुर्गा माता की आरती करें। आरती के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें और पूजा स्थल को साफ रखें।
नवमी के दिन करें कन्या पूजन
यदि आप व्रत रख रहे हैं, तो नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें और दुर्गा की कथा सुनें। इससे मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है।नवमी के दिन कन्या पूजन करें और मां दुर्गा को विशेष प्रसाद अर्पित करें। विजयदशमी के दिन मां को विदा करें और उन्हें धन्यवाद दें कि उन्होंने आपकी पूजा स्वीकार की।
दुर्गा पूजा की तिथियां और मुहूर्त:
हर साल पंचांग और चंद्रमा की स्थिति के आधार पर तय किए जाते हैं। दुर्गा पूजा का शुभारंभ नवरात्रि के दौरान होता है और यह 9 दिनों तक चलती है। इस दौरान कलश स्थापना से लेकर विजयदशमी तक विभिन्न पूजा विधियां और शुभ मुहूर्त होते हैं। नीचे वर्ष 2024 की दुर्गा पूजा की सभी महत्वपूर्ण तिथियों और मुहूर्तों की जानकारी दी जा रही है:
तारीख | दुर्गा पूजा का दिन | महत्व | मुहूर्त |
3 अक्टूबर, गुरुवार | घटस्थापना (कलश स्थापना) | शुभारंभ, मां शैलपुत्री की पूजा |
मुहूर्त: 06:15 AM से 07:21 AM अभिजीत मुहूर्त: 11:46 AM से 12:33 |
10 अक्टूबर 2024, गुरुवार | मां महागौरी पूजा (आठवां दिन) | पवित्रता और सौभाग्य की प्राप्ति | मुहूर्त: 11:45 PM से 12:33 AM (अगले दिन) |
11 अक्टूबर 2024, शुक्रवार |
मां सिद्धिदात्री पूजा महानवमी |
कन्या पूजन | महानवमी पूजा मुहूर्त: 07:00 AM से 09:15 AM |
12 अक्टूबर 2024, शनिवार | विजयदशमी (दशहरा) | अपराजिता पूजा मुहूर्त: 01:30PM से 02:50 PM |
नवरात्रि का विज्ञान: व्रत और स्वास्थ्य का संबंध
नवरात्रि के दौरान उपवास रखने की परंपरा का वैज्ञानिक आधार है। देवी भागवत और मार्कंडेय पुराण में नौ दिनों तक देवी पूजा और व्रत का विधान बताया गया है। आयुर्वेद के अनुसार, इस समय मौसम बदलता है, जिससे पाचन तंत्र पर असर पड़ता है। व्रत करने से शरीर की डाईजेशन प्रक्रिया बेहतर होती है और इसे ठीक रखने में मदद मिलती है। उपवास करने से शरीर में हल्कापन आता है और सर्दियों की शुरुआत के लिए तैयार हो जाता है।
नवरात्रि और खगोलीय घटना: दिन-रात बराबर होने का समय
नवरात्रि के समय को विज्ञान में इक्विनॉक्स कहते हैं, जब दिन और रात बराबर होते हैं। इस खगोलीय घटना के दौरान सूर्य और चंद्रमा की रोशनी धरती तक बराबर पहुंचती है। शारदीय नवरात्रि इस खगोलीय घटना के साथ जुड़ी होती है, जिससे मौसम परिवर्तन के साथ नई ऊर्जा मिलती है। इस समय को अध्यात्मिक साधना और ध्यान का समय भी माना जाता है।
महत्वपूर्ण देवी मंदिर: जहां होती है खास पूजा
वृंदावन का कृष्ण कालीपीठ मंदिर विशेष है, जहां काली की पूजा कृष्ण रूप में होती है। तमिलनाडु में द्रौपदी अम्मन को महाकाली का रूप माना जाता है, वहीं विजयवाड़ा में कनक दुर्गा का मंदिर महिषासुर के वध के बाद स्थापित हुआ था। बनारस का अन्नपूर्णा मंदिर भी नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा का केंद्र रहता है, जहां मां अन्नपूर्णा का स्वर्णमयी रूप दर्शन के लिए प्रकट होता है।
उपवास का महत्व: स्वास्थ्य और अध्यात्म का मिलन
नवरात्रि के उपवास का उद्देश्य न केवल आध्यात्मिक शुद्धि है, बल्कि स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाना है। यह समय शरीर को आंतरिक रूप से शुद्ध करने का है। हल्का आहार लेने से शरीर को मौसम के बदलाव से मुकाबला करने में मदद मिलती है। उपवास रखने से शरीर में ताकत बढ़ती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है।