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मानसिक तनाव आदि से मुक्ति पाने के लिए कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मज़बूत होना बहुत ज़रूरी है। ऐसे में साल के पहले दिन भगवान शिव की पूजा करें।

(कीर्ति राजपूत)

New Year 2024 Par Karen Chandra Kavach ka Path : साल 2024  की शुरूआत सोमवार के दिन से ही हो रही है। हिंदू धर्म में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित किया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा उपासना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, साथ ही कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मज़बूत होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा मन का कारक ग्रह होता है। कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मज़बूत होने से ही व्यक्ति हमेशा प्रसन्न रहता है। इसके अलावा प्रत्येक शुभ कार्य में व्यक्ति को सफलता भी प्राप्त होती है। भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा के अनुसार साल के पहले दिन भगवान शिव की पूजा करें, साथ ही चंद्रमा की स्तिथि मजबूत करने के लिए इस चमत्कारी चन्द्र कवच स्तोत्र का पाठ करें। इस स्तोत्र के पाठ से मानसिक तनाव से निजात मिल सकता है। 

चन्द्र कवच
समं चतुर्भुजं वन्दे केयूरमुकुटोज्ज्वलम् ।

वासुदेवस्य नयनं शंकरस्य च भूषणम् ॥

एवं ध्यात्वा जपेन्नित्यं शशिनः कवचं शुभम् ।

शशी पातु शिरोदेशं भालं पातु कलानिधिः ॥

चक्षुषी चन्द्रमाः पातु श्रुती पातु निशापतिः ।

प्राणं क्षपाकरः पातु मुखं कुमुदबांधवः ॥

पातु कण्ठं च मे सोमः स्कंधौ जैवा तृकस्तथा ।

करौ सुधाकरः पातु वक्षः पातु निशाकरः ॥

हृदयं पातु मे चंद्रो नाभिं शंकरभूषणः ।

मध्यं पातु सुरश्रेष्ठः कटिं पातु सुधाकरः ॥

ऊरू तारापतिः पातु मृगांको जानुनी सदा ।

अब्धिजः पातु मे जंघे पातु पादौ विधुः सदा ॥

सर्वाण्यन्यानि चांगानि पातु चन्द्रोSखिलं वपुः ।

एतद्धि कवचं दिव्यं भुक्ति मुक्ति प्रदायकम् ॥

यः पठेच्छरुणुयाद्वापि सर्वत्र विजयी भवेत् ॥

चन्द्र स्तोत्र


श्वेताम्बर: श्वेतवपु: किरीटी, श्वेतद्युतिर्दण्डधरो द्विबाहु: ।

चन्द्रो मृतात्मा वरद: शशांक:, श्रेयांसि मह्यं प्रददातु देव:।।

दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम ।

नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम ।।

क्षीरसिन्धुसमुत्पन्नो रोहिणी सहित: प्रभु: ।

हरस्य मुकुटावास: बालचन्द्र नमोsस्तु ते ।।

सुधायया यत्किरणा: पोषयन्त्योषधीवनम ।

सर्वान्नरसहेतुं तं नमामि सिन्धुनन्दनम ।।

राकेशं तारकेशं च रोहिणीप्रियसुन्दरम ।

ध्यायतां सर्वदोषघ्नं नमामीन्दुं मुहुर्मुहु: ।।

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