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धार्मिक मान्यता है कि जिनके संतान नहीं हो रहे हैं, उनको पुत्रदा एकादशी का व्रत करना चाहिए। इस दिन विधि विधान के साथ भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस व्रत के बारे में।

(रुचि राजपूत)

Paush Putrada Ekadashi 2024 : हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी के रूप में जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा बड़े ही विधि विधान के साथ की जाती है। इस साल पौष माह की पुत्रदा एकादशी 21 जनवरी को है। दरअसल, इसकी शुरुआत 20 तारीख से होगी लेकिन किसी भी व्रत को उदयातिथि से माना जाता है यही कारण है कि इस व्रत को इस बार 21 जनवरी को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं पुत्रदा एकादशी की पूजा कैसे करनी चाहिए। 

शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिलता है। इस व्रत का पालन करने वालों को भगवान विष्णु की आशीर्वाद मिलता है और उनकी कृपा अपने भक्तों पर बनी रहती है। इस व्रत को करने वाले भक्तों को को लंबी आयु के संतान की प्राप्ति होती है इसके साथ ही व्रत करने वाले को भी लाभ मिलता है। 

कहा जाता है कि एकादशी से बढ़कर दूसरी कोई तिथि बड़ी नहीं होती है। भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए रोली, मोली, पीले चन्दन, अक्षत, पीले पुष्प, ऋतुफल, मिष्ठान आदि का उपोयग करना चाहिए। इस दिन दीपदान के बारे में भी बताया गया है। इश दिन की उपासना करने वाले साधक को 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करना चाहिए। 

संतान कामना का व्रत होने के कारण इस दिन भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। उपासना करने वाले को पीले वस्त्र पहनने चाहिए। पूर्व दिशा की तरफ अपना मुंह करके पूजा करनी चाहिए। गोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए। उसके बाद द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं औप उसके बाद खुद भोजन करें।

क्या है इस व्रत की कथा
मान्यता है कि प्राचीन काल में भद्रावतीपुरी में राजा सुकेतुमान राज्य करते थे। उनकी रानी का नाम चंपा था। राजा-रानी संतान सुख से वंचित थे। एक दिन राजा शोक के मारे जंगल पहुंचे। यहां उन्हें कुछ साधु संत मिले। तब राजा ने उनसे अपनी संतानहीनता के बारे में बताया। तब मुनियों ने उन्हें इस दिन के व्रत के बारे में बताया। जिसके बाद राजा ने इस व्रत को किया और उन्हें संतान सुख मिला।

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