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योग किसी धर्म-संप्रदाय से नहीं जुड़ा है। आंतरिक व आत्मिक विकास, मानव कल्याण व मुक्ति से जुड़ा यह विज्ञान भावी पीढ़ी के लिए एक महानतम उपहार है। 

सद्गुरु| योग किसी धर्म-संप्रदाय से नहीं जुड़ा है। योग प्रेम, अहिंसा, करुणा और सबको साथ लेकर चलने की बात करता है। योग धर्म, जाति, वर्ण, क्षेत्र या भाषा के आधार पर जन्मे भेदभाव से परे है, इसलिए इसमें पूरी दुनिया को एक परिवार के तौर पर बांधने की क्षमता है। 

योग, जीवन-प्रक्रिया की छानबीन है। यह सभी धर्मों से पहले अस्तित्व में आया और इसने मानव के सामने संभावनाओं को खोलने का काम किया, जिससे इंसान प्रकृति द्वारा तय की गई सीमाओं से परे जा सके। आंतरिक व आत्मिक विकास, मानव कल्याण व मुक्ति से जुड़ा यह विज्ञान भावी पीढ़ी के लिए एक महानतम उपहार है। 

आज योग विज्ञान जितना महत्वपूर्ण है, इससे पहले यह कभी इतना महत्वपूर्ण नहीं रहा। क्योंकि, आज हमारे पास विज्ञान और तकनीक के तमाम साधन मौजूद हैं, जो इस दुनिया को बना और मिटा सकते हैं। ऐसे में यह बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है कि हमारे भीतर जीवन के प्रति जागरूकता और ऐसा भाव बना रहे कि हम हर दूसरे प्राणी को अपना ही अंश महसूस कर सकें, वरना अपने सुख और भलाई के पीछे की हमारी दौड़ सब कुछ बर्बाद कर देगी। 

अगर दुनिया की कुछ आबादी भी योग और ध्यान के मार्ग पर चलने लगे तो निश्चित तौर पर दुनिया की गुणवत्ता और स्तर में सुधार आएगा। जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण में विस्तार व व्यापकता लाने में ही मानव-जाति की सभी समस्याओं का समाधान है। उसे निजता से सार्वभौमिकता या समग्रता की ओर चलना होगा।

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