Ram Navami 2025: भारत में आज रामनवमी का उत्सव मनाया जा रहा है। अयोध्या में रामलला का वैज्ञानिक तरीके से सूर्य तिलक हुआ। सूर्यदेव ने अपनी स्वर्ण किरणों से रामलला का तिलक किया। हजारों श्रद्धालु इस दिव्य और सुखद क्षण के साक्षी बने।
एमपी के सीएम मोहन यादव ने इसे विज्ञान की अद्भुत गणना और श्रद्धा की अगाध शक्ति बताया। कहा, रामलला का यह सूर्य तिलक आस्था, तकनीक और परंपरा और प्रगति का घोतक है। श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में भक्तों की भारी भीड़ है। आइए जानते हैं रामनवमी पर पूजा की आसान विधि...।
रामलला के ललाट पर सूर्य देव का तिलक...
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) April 6, 2025
आज अयोध्या जी में पवित्र राम नवमी के शुभ अवसर पर सूर्यदेव ने अपनी स्वर्ण किरणों से रामलला का तिलक किया, यह क्षण दिव्य और अत्यंत सुखद है।
यह विज्ञान की अद्भुत गणना और श्रद्धा की अगाध शक्ति है, जो सनातन संस्कृति की दिव्यता और विकसित भारत की… pic.twitter.com/W6fCquomyu
ज्योतिषाचार्यों ने इस बार रामनवमी पूजा के लिए ढाई घंटे (सुबह 11 बजे से 1.39 बजे तक) का विशेष मुहूर्त बताया है। इस मुहूर्त में भगवान राम की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, भगवान राम का जन्म दोपहर में हुआ था, इसलिए मध्याह्न मुहूर्त में ही उनकी पूजा की जानी चाहिए।
राम नवमी पूजा मुहूर्त (Ram Navami Puja Muhurat)
राम नवमी पर रामलला की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन शुभ मुहूर्त पर पूजा करना विशेष फलदायी होता है। राम नवमी पूजा के लिए 6 अप्रैल को सुबह 11.8 मिनट से दोपहर 1.39 मिनट तक विशेष मुहूर्त है। राम नवमी का मध्याह्न मुहूर्त सुबह 11 बजकर 7 मिनट से दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। इस दौरान ही भगवान राम की पूजा करें।
राम नवमी पूजा विधि (Ram Navami Puja Method)
- राम नवमी के दिन सुबह उठकर स्नान ध्यान करें और साफ कपड़े पहनें। फिर मंदिर की साफ सफाई करें और भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा शुरू करें। इससे पहले हाथ में जल, अक्षत और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें और भगवान का आह्वान करें। फिर मूर्तियों को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं। नए वस्त्र और आभूषण अर्पित करें। फल, फूल, मिठाई, पंजीरी और खीर का भोग लगाएं।
- पूजा में तुलसी दल जरूर शामिल करें। धूप, दीप और कपूर से आरती करें। इस दौरान "ॐ श्री राम जय राम जय जय राम", "राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्त्र नाम तत् तुल्यं राम नाम वरानने॥ का जाप करें। फिर रामचरितमानस या रामायण का पाठ करें। भगवान राम की भावपूर्ण आरती करें और पूजा में हुई भूल-चूक के लिए माफी मांगें।