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Choti Diwali 2024: पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत 29 अक्टूबर 2024, मंगलवार से हो रही है। वहीं छोटी दिवाली अर्थात रुप चौदस 31 अक्टूबर 2024, गुरुवार को मनाई जायेगी। छोटी दिवाली को हम नरक चतुर्दशी, काली चौदस और रूप चतुर्दशी के नाम से भी पुकारते है।

Choti Diwali 2024: पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत 29 अक्टूबर 2024, मंगलवार से हो रही है। वहीं छोटी दिवाली अर्थात रुप चौदस 31 अक्टूबर 2024, गुरुवार को मनाई जायेगी। छोटी दिवाली को हम नरक चतुर्दशी, काली चौदस और रूप चतुर्दशी के नाम से भी पुकारते है। इस दिन घर-प्रतिष्ठानों पर चारों तरफ दीपक प्रज्ज्वलित कर रोशनी की जाती है। कहा जाता है कि, मां लक्ष्मी अपनी बहन अलक्ष्मी के साथ इस दिन धरती लोक पर विचरण करती है। इस दौरान जो भी घर-प्रतिष्ठान उन्हें स्वच्छ दिखता है, वहां मां लक्ष्मी स्थायी निवास करती है। ..और जहां गंदगी रहती है, वहां देवी अलक्ष्मी निवास बना लेती है। 

रुप चौदस को लेकर एक पौराणिक मान्यता है कि, इस दिन विभिन्न तरह के उपाय करने से साधक अपने जीवन की तमाम परेशानियों से मुक्ति पा लेते है। इसके अलावा महिलायें इस दिन अपनी सुंदरता में चार गुना अधिक निखार लाने के लिए कुछ विशेष उपाय कर सकती हैं। चलिए जानते है उनके बारे में- 

रुप चौदस के उपाय
(Roop Chaudas Ke Upay)

- रूप चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले उठें। इसके बाद शरीर पर तिल या सरसों के तेल से मालिश करें। अब औषधियों से बनाया हुआ लेप शरीर पर लगाएं। इसके पश्चात पानी में दो बूंद गंगाजल और चिरचिटा के पत्ते डालें। इसके बाद इस जल से स्नान करें। इस उपाय से उम्र के साथ-साथ सौंदर्य भी बढ़ता है। 

- रूप चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें। मान्यताओं के मुताबिक, तिल के तेल में लक्ष्मी जी और जल में गंगाजी निवास करती है। इसलिए इस दिन सूर्य उदय होने से पहले किये जाने वाले स्नान के जल में औसधियां मिलावें। इस उपाय को करने से नरक मुक्ति मिलती है सौंदर्य बढ़ता है। 

छोटी दिवाली पर जलाएं 5 दीपक

छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी के दिन 5 दीपक जलाने का नियम हैं। इनमें से एक दीपक घर के मंदिर में, दूसरा दीपक रसोई घर में, तीसरा दीपक पीने के पानी के स्थान पर, चौथा दीपक पीपल या वट के पेड़ के नीचे और पांचवा अंतिम दीपक घर के मुख्य द्वार पर जलाकर रखना चाहिए। इस दौरान ध्यान रखें, जो दीपक घर के मुख्य द्वार पर रखेंगे, वह चार लंबी बत्ती वाला होना चाहिए। कहते हैं, इस नियम की पालना करने से जीवन में कष्ट दूर होने की शुरुआत होती है। 

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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