Shivling Puja Vidhi: सनातन धर्म में भगवान भोलेनाथ को कल्याण का देवता कहा गया है। कहा जाता है कि सच्ची आस्था और शुद्ध मनोभाव से भोले बाबा की आराधना करने से व्यक्ति को जीवन में कभी कोई कष्ट झेलना नहीं पड़ता है। भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए शिवालय में जाकर प्रतिदिन शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए। मान्यता है कि भोलेनाथ शीघ्र ही अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाते है। इसलिए हर व्यक्ति को शिवलिंग पूजा करनी चाहिए।
धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि शिवलिंग की पूजा कभी भी काले रंग के कपड़े पहनकर नहीं करनी चाहिए। शिवलिंग पर जल चढ़ाने पर साधक को मनचाहा आशीर्वाद प्राप्त होता है। क्या आप जानते है शिवलिंग पर जल चढ़ाने के भी कुछ विशेष नियम है, जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए। चलिए जानते है -
शिवलिंग पर जल चढ़ाने की विधि
(Shivling Par Jal Chadane Ki Vidhi)
- - शिवलिंग पर जल कभी भी प्लास्टिक के बर्तन से नहीं चढ़ाना चाहिए। इसके लिए तांबे के लोटे का प्रयोग करें।
- - शिवलिंग पर तांबे के लोटे में जल लेकर जलहरी के दाईं ओर चढ़ाएं, इसे गणपति जी का स्थान माना गया है।
- - दूसरी बार में तांबे के लोटे में जल लेकर जलहरी के बाईं ओर चढ़ाएं, इसे प्रभु कार्तिकेय का स्थान माना गया है।
- - तीसरी बार तांबे के लोटे में जल लेकर जलहरी के बीचों बीच चढ़ाएं, यह शिव पुत्री अशोक सुंदरी का स्थान है।
- - चौथी बार में तांबे के लोटे में जल लेकर जलहरी के गोलाकार हिस्से में जल चढ़ाएं, जो मां पार्वती का स्थान है।
- - सबसे आखिर में तांबे के लोटे में जल लेकर शिवलिंग पर धीमे-धीमे जल चढ़ाएं। इससे पूजा पूरी होती है।
शिवलिंग पर जल चढ़ाने के नियम
(Shivling Par Jal Chadane Ke Niyam)
- - शिवलिंग पर कभी भी खड़े होकर जल नहीं चढ़ाना चाहिए। हमेशा बैठकर धीमे-धीमे जल चढ़ाना शुभ होता है।
- - शिवलिंग पर कभी भी तेज धार से जल न चढ़ाएं और जलहरी में कभी भी पूजा का सामान नहीं रखें।
- - शिवालय की परिक्रमा करते वक्त जलहरी को डांकना नहीं चाहिए। ध्यान रखें शिवलिंग की हमेशा आधी परिक्रमा करें।
- - शिवलिंग पर कभी भी पूर्व दिशा की ओर मुख करके जल अर्पित नहीं करना चाहिए। यह शिव का मुख्य प्रवेश द्वार है।
- - शिवलिंग पर हमेशा उत्तर दिशा की तरफ मुख करके जल अर्पित करना चाहिए।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।