(कीर्ति राजपूत)
Sleeping Position According to Shastra : सोना हमारी दिनचर्या का एक जरूरी हिस्सा है, अच्छी नींद इंसान को कई तरह की समस्याओं से बचा सकती है। सोने का अर्थ केवल नींद लेने भर से ही नहीं होता, बल्कि इसका गहरा सम्बन्ध हमारी सेहत से भी होता है। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में सोने के लिए सही तरीके बताए गए हैं, अगर आप शास्त्रों के अनुसार सही दिशा में सिर और पैर करते हैं तो आपके जीवन में इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। इस विषय में विस्तार से बता रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा।
सोने का सही समय
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार सूर्यास्त के लगभग तीन पहर बाद मतलब सूर्यास्त होने की तीन घंटे बाद तक व्यक्ति को सो जाना चाहिए। इसके अलावा सूर्योदय के बाद सोना सेहत की दृष्टि से भी अच्छा नहीं माना जाता। हिंदू धार्मिक शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि शाम के समय सोना बिल्कुल भी शुभ नहीं होता। शाम को सोने से व्यक्ति को कई तरह की शारीरिक परेशानियां हो सकती हैं। रात में सोते समय भी इस बात का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है, कि आपका सिर दीवार से लगभग तीन हाथ की दूरी पर हो।
क्या है सोने की सही दिशा?
हिन्दू धर्म शास्त्रों और वास्तु शास्त्र में सोते समय दिशा को महत्वपूर्ण माना गया है। वास्तु शास्त्र के अनुसार सोते समय आपका सिर सदैव पूर्व दिशा में होना चाहिए। यह दिशा सूर्य की दिशा कहलाती है। माना जाता है कि इस दिशा में सिर करके सोने से व्यक्ति के ज्ञान में वृद्धि होती है। इसके इलावा दक्षिण दिशा की तरफ सिर करके भी सोया जा सकता है, लेकिन इन दोनों दिशाओं की तरफ पैर करके कभी नहीं सोना चाहिए। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार इन दिशाओं में पैर करके सोने से व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार बढ़ जाते हैं।
इन बातों का भी रखें ध्यान
शास्त्रों में इस बात का भी वर्णन मिलता है कि व्यक्ति का बिस्तर किस प्रकार का होना चाहिए। विष्णु पुराण के अनुसार, कभी भी टूटे-फूटे, मैले, बहुत ज्यादा ऊंचे या फिर बहुत छोटे बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए। हमेशा साफ-सुथरे बिस्तर पर ही सोएं। इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि जिस बिस्तर पर आप सोते हैं उस पर बैठकर खाना नहीं खाना चाहिए।