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Holi Special traditions: भारत के हर स्टेट में होली की कुछ खास परंपराएं हैं। इंदौर में रंग पंचमी पर होली के जुलूश को यूनेस्को ने मान्यता दी है। रायसेन की अंगारे वाली होली, निमाड़ के भगोरिया उत्सव भी दुनियाभर में चर्चित है।

Holi Special traditions: होली हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन के दूसरे दिन इसे लोकपर्व के रूप में मनाते हैं। देश में होली उत्सव की कुछ खास परंपराएं हैं, जो इस लोकपर्व की भव्यता और महत्ता को दर्शाती हैं। इंदौर में रंग पंचमी पर मनाई जाने वाली होली (गेर) को यूनेस्को ने भी मान्यता दी है। 

भगोरिया उत्सव  (Bhagoriya Utsav)
मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल्य झाबुआ और अलीराजपुर जिले में होली पर भगोरिया उत्सव मनाया जाता है। इसमें जनजातीय परिवारों के लोग नृत्य-संगीत और रंगों के साथ जीवन और प्रेम का उत्सव मनाते हैं। होली के समय यहां मेला भी लगता है। जिसे भगोरिया मेला कहते हैं। इसमें हजारों की संख्या में आदिवासी युवक-युवतियां पारंपरिक वस्त्रों में सज-संवरकर मेला पहुंचते हैं। 

अंगारेवाली होली (Embers Holi) 
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के कुछ गांवों में अंगारेवाली होली मनाने की परंपरा है। रायसेन के चंद्रपुरा और मेंहगवा गांव में होलिका दहन से रंग पंचमी तक लोग इस परंपरा का निर्वहन करते हैं। इस दौरान वह आग के अंगारों पर चलकर होली खेलते हैं। नाबालिग बच्चों से लेकर बुजुर्ग महिलाएं तक इस अनोखी परंपरा का हिस्सा बनती हैं। 

इंदौर का रंग पंचमी उत्सव 
भारत के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में रंगपंचमी पर मनाई जाने वाली होली दुनियाभर में चर्चित है। इस दौरान रंग-गुलाल और अबीर के लाखों लोग एक साथ होली खेलने निकलते हैं। इंदौर का यह होली उत्सव गेर के नाम से चर्चित है। इसे यूनेस्को ने भी मान्यता दी है। लाखों लोग रंगों से सराबोर होकर रंगपर्व मनाते हैं। इस दौरान जमीं से आसमान तक गुलाबी नजर आता है।

मसाने की होली (Masane Ki Holi)
बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी यानी वाराणसी में जतती चिताओं के बीच उसकी भस्म से खेली जाती है। काशी के मणिकर्णिका घाट पर रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन खेली जाने वाली इस होली को मसाने की होली कहते हैं। मान्यता है कि भगवान भोलेननाथ गौना के बाद माता पार्वती के साथ काशी आए थे और गणों के साथ जमकर होली खेली थी। तभी से मसाने की होली खेलने की परंपरा है। पूरी खबर पढ़ें...

बरसाने की लट्ठमार होली (Lathmar Holi)
उत्तर प्रदेश के ब्रज मंडल में वसंत पंचमी के बाद होली का उत्सव शुरू होता है और पूरे ढेढ़ महीने यानी 45 दिन तक चलता है। मथुरा-वृंदावन और बरसाने के विभिन्न मंदिरों में अलग अलग तरीके से होली मनाई जाती है। जिसका लुत्फ उठाने देशभर से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। बरसाने की लट्ठमार होली दुनियाभर में चर्चित है। जानें लठमार होली की खासियत...

कब है होलिका दहन (Holika Dahan Muhurat)
भारत में इस बार होलिका दहन 24 मार्च 2024 को है। 24 मार्च की देर रात 11:13 बजे से 12:27 बजे के बीच शुभ मुहूर्त में होलिका दहन कर पूजा-अर्चना की जाएगी। होलिका दहन के अगले दिन यानी 25 मार्च को पूरे देश में धुरेड़ी मनाई जाती है। उत्तर प्रदेश के मथुरा-वृंदावन सहित पूरे ब्रज मंडल में 45 दिन तक होली का पर्व पूरे उत्साह से मनाया जाता है। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में चिताओं की भस्म से होली खेलने की परंपरा है।  

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