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Lord Bhrahma : हिन्दू धर्म कई रहस्यों से भरा हुआ है। जितना जानने की कोशिश करें उतना ही कम है। हिन्दू पुराणों में उल्लेख है कि सृष्टि की रचना परमपिता ब्रम्हा जी द्वारा की गई है।

(रुचि राजपूत)
Chaturmukhi Bramha Ji:
हिन्दू पौराणिक कथाओं में भगवन ब्रम्हा को जगत के पिता कहा जाता है। इस पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, नर-नारी सभी की रचना ब्रम्हा जी ने की है। यह कार्य उन्हें भगवान शिव ने सौंपा था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सृष्टि की रचना के समय ब्रम्हा जी के 5 मुख हुआ करते थे, और इन्हीं से वह सभी दिशाओं में देखा करते थे, लेकिन आज हम जहां भी देखते हैं। वहां तस्वीरों में ब्रम्हा जी के 4 मुख ही दिखाए जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ब्रह्म देव का 5वां सिर कहां गया? आइए जानते हैं प्रसिद्ध ज्योतिषी धर्मेंद्र दुबे से।

पौराणिक कथाओं के अनुसार
हिन्दू पौराणिक कथाओं में सारी सृष्टि, जीव-जंतु, पेड़-पौधे, नर-नारी सभी भगवान ब्रम्हा द्वारा रचित बताए गए हैं। ऐसा माना जाता है कि ब्रम्हा जी के चार सिर हैं जो चारों वेदों के प्रतीक माने जाते हैं। ब्रम्हा जी का एक सिर और हुआ करता था। मतलब ब्रम्हा जी के कुल 5 सिर थे। हिन्दू पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि जब ब्रह्म जी ने सारी सृष्टि की रचना कर ली, तब सृष्टि में मानव विकास के लिए उन्होंने एक बेहद सुन्दर स्त्री को बनाया। जिसका नाम सतरूपा था। 
      देवी सतरूपा वैसे तो ब्रम्हा जी की पुत्री थी। परन्तु वे इतनी सुन्दर थी कि ब्रम्ह देव उनको देखते ही उन पर मोहित हो गए और उनको अपनाने के लिए आगे बढ़े, देवी सतरूपा उनसे बचने के लिए हर दिशा की तरफ जाने लगी लेकिन ब्रम्ह देव ने अपने 3 सिर और उत्पन्न कर हर तरफ से देवी सतरूपा को देखना नहीं छोड़ा। जब सतरूपा ब्रम्ह देव की नजरों से नहीं बच पाईं। तब वे ऊपर की तरफ दौड़ने लगीं। उस समय ब्रम्ह देव ने अपने एक और सिर की उत्पत्ति की जो ऊपर की तरफ देख सके। देवी सतरूपा की ब्रम्हा जी से बचने की हर कोशिश नाकाम साबित हो गई। 

भगवान शिव ब्रम्हा जी की ये सब हरकतें देख रहे थे। शिव की दृष्टि में सतरूपा ब्रह्मा जी की पुत्री थीं, इसीलिए उन्हें यह घोर पाप लगा। इससे क्रोधित होकर शिव जी ने अपने एक गण भगवान भैरव को प्रकट किया और भगवान भैरव ने ब्रह्मा जी का पांचवा सिर काट दिया। ताकि सतरूपा को ब्रह्मा जी की कुदृष्टि से बचाया जा सके। जब ब्रम्हा जी का पांचवां सिर कट गया तब ब्रम्हा जी को होश आया और उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ।

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