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आपने देखा होगा पितृपक्ष के दौरान पीपल और बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं इन पेड़ों की पूजा क्यों की जाती है। आइए जानते हैं।

Pitru Paksha 2024: कल यानी 17 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है। पितृपक्ष के दौरान लोग पितरों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए तर्पण और पिंडदान करते हैं। ताकि पितृदेव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। मान्यता है कि पितरों को तर्पण और पिंडदान करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

इस दौरान दान-पुण्य, धर्म, कर्म, पशुओं को भोजन खिलाना, ब्राह्मण को भोजन कराना और गरीबों को दान दिया है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त हो जाती है। ज्योतिष शास्त्र में इन सभी के अलावा कुछ ऐसे पेड़ होते हैं, जिनकी पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।

श्राद्ध पक्ष में पीपल और बरगद के पेड़ की पूजा करने के बारे में बताया गया है। यदि पितृपक्ष के दौरान पीपल और बरगद के पेड़ की पूजा करते हैं, तो पितृदोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही धन व भाग्य संबंधित सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं। तो आज इस खबर में विस्तार से जानते हैं कि पितृपक्ष के दौरान पीपल और बरगद की पूजा क्यों की जाती है।

पितृपक्ष में पीपल के पेड़ की पूजा करने का महत्व

सनातन धर्म में पीपल के पेड़ को सबसे पवित्र और शुभ माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, पीपल के पेड़ में जगत के पालनहार भगवान विष्णु स्वयं निवास करते हैं। इसलिए किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। ज्योतिषियों के अनुसार, पीपल के पेड़ की पूजा करने से कई प्रकार के दोष से मुक्ति भी मिल जाती है, इनमें से पितृ दोष मुख्य है। इसलिए पितृपक्ष के दौरान पीपल के पेड़ की पूजा विधि-विधान से की जाती है साथ ही जल भी अर्पित किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल के पेड़ की पूजा करने से स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।

बरगद के पेड़ की पूजा

धार्मिक शास्त्रों में बरगद के पेड़ को बहुत ही शुभ और गुणकारी माना गया है। मान्यता है कि बरगद के पेड़ में भगवान शिव का वास होता है, जिसके कारण किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में इसका होना अनिवार्य होता है। पितृपक्ष में बरगद के पेड़ की पूजा करने से पितृ देवों की आत्मा की शांति मिलती है और तो और सभी तरह के पितृदोष से मुक्ति मिल जाती है।

पितृपक्ष के दौरान जल में काला तिल मिलाकर बरगद के पेड़ के जड़ में डालने से पितृ देवों की आत्मा तृप्त हो जाती है। साथ ही धन संबंधित सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

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डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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