Gautam gambhir team India head coach: जो भारतीय क्रिकेट इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ, वो गौतम गंभीर के हेड कोच बनने के बाद हो गया। घर पर भारत 3 टेस्ट की सीरीज के तीनों मुकाबले हार गया। वो भी उस टीम से जिसने आजतक भारत में कोई टेस्ट सीरीज नहीं जीती थी। इस नतीजे के बाद से ही गंभीर आलोचकों के निशाने पर है और ऐसा होना लाजमी भी है। क्योंकि उन्हें जब इस साल भारतीय टीम का हेड कोच बनाया गया था, तो मांगा वो सब मिला था। गंभीर को पसंद का कोचिंग स्टाफ मिला, टीम चुनने की आजादी और मुंहमांगी सैलरी। लेकिन, बदले में नतीजा सिफर रहा।
ऐसे में अब गौतम गंभीर से कथित तौर पर बीसीसीआई द्वारा मुख्य कोच के रूप में पदभार संभालने के बाद लिए गए फैसले के बारे में पूछताछ की जाएगी। इसमें न्यूजीलैंड के हाथों मिली व्हाइटवॉश की समीक्षा भी शामिल होगी। ऑस्ट्रेलिया में होने वाली पांच टेस्ट की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में टीम इंडिया का प्रदर्शन गंभीर के भविष्य को तय करेगा। लेकिन एक बात साफ है कि अब बतौर कोच गंभीर की मनमानी शायद ही चले। उनकी पावर में कटौती हो सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गौतम गंभीर के पास पूर्व के हेड कोच रवि शास्त्री और राहुल द्रविड़ से ज्यादा पावर है। वो सेलेक्शन से जुड़े मामलों में खुलकर अपनी बात रख सकते हैं जबकि द्रविड़-शास्त्री के पास ये अधिकार नहीं था। इतना ही नहीं, द्रविड़ के कोच रहते घरेलू टेस्ट में पूरी तरह टर्निंग ट्रैक बनाने की सोच से टीम इंडिया आगे बढ़ गई थी लेकिन गंभीर के कहने पर ही मुंबई में टर्निंग ट्रैक बनाया गया और ये फैसला टीम पर भारी पड़ा और तीन दिन में ही न्यूजीलैंड ने भारत को हरा दिया।
एक सूत्र के हवाले से ये बताया गया है, "भारत में टर्निंग ट्रैक को दोबारा लाने के फैसले ने बोर्ड के कुछ लोगों को हैरत में डाल दिया। इसलिए न्यूजीलैंड से हार के बाद गौतम गंभीर के नेतृत्व में नए सपोर्ट स्टाफ से टीम को आगे ले जाने के उनके विजन के बारे में पूछा जाएगा।"
गंभीर जब टीम इंडिया के हेड कोच बने थे तो उन्होंने अपनी पसंद के सपोर्ट स्टाफ की डिमांड बीसीसीआई के सामने रख दी थी। उनकी हर मांग मानी गई। इसमें सपोर्ट स्टाफ का मामला भी शामिल है। इसके तहत ही अभिषेक नायर, मोर्ने मोर्कल और रेयान टेन डोशेट को टीम इंडिया से जोड़ा गया।इसके अलावा, गंभीर ने ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए सेलेक्शन कमेटी की मीटिंग में भी हिस्सा लिया, जो इससे पहले नहीं हुआ था। इसे लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है।
पीटीआई ने एक सूत्र के हवाले से बताया, "गौतम गंभीर को वह सुविधा दी गई जो उनके पूर्ववर्ती रवि शास्त्री और राहुल द्रविड़ को नहीं थी। बीसीसीआई के रूल बुक के तहत कोच को सेलेक्शन कमेटी की मीटिंग का हिस्सा बनने की नुमति नहीं होती है लेकिन ऑस्ट्रेलिया दौरे की चयन बैठक के लिए एक अपवाद बनाया गया था। दौरे की गंभीरता को देखते हुए मुख्य कोच को इसमें शामिल होने की अनुमति दी गई थी।"
सूत्र ने कहा, "बीसीसीआई ने अब तक गंभीर की हर मांग पर सहमति जताई है। बीसीसीआई की एनसीए के कार्यक्रम के माध्यम से तैयार किए गए कोच को बढ़ावा देने की नीति के बावजूद उन्हें उनकी पसंद का सपोर्ट दिया गया है। उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम चुनने के लिए चयन बैठक में भी शामिल होने की अनुमति दी गई है। ऐसे में अब बीसीसीआई को अपने फैसलों पर फिर से विचार करना पड़ सकता है और गंभीर से भविष्य का रोडमैप मांगना पड़ सकता है।"