नई दिल्ली। हार्दिक पांड्या भारत के सर्वश्रेष्ठ सीम-बॉलिंग ऑलराउंडर हैं। इसमें कोई संदेह नहीं। कुछ समय पहले तक, वह रोहित शर्मा के बाद भारत के व्हाइट-बॉल कप्तान के रूप में सबसे बेहतर माने जा रहे थे। ऐसा इसलिए भी क्योंकि हार्दिक ने जून 2022 और अगस्त 2023 के बीच 19 मैचों (16 टी20 और 3 वनडे) में भारत की कप्तानी की। उनमें से भारत ने 12 मुकाबले जीते भी। इसी वजह से इस साल हुए टी20 विश्व कप में भी उन्हें भारतीय कप्तान के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि रोहित शर्मा टी20 विश्व कप के लिए भारतीय टीम की योजना का हिस्सा बन गए।
रोहित शर्मा कप्तान के तौर पर खेले और हार्दिक उनके डिप्टी। दोनों ही खिलाड़ियों का प्रदर्श अच्छा रहा और भारत ने 2007 के बाद दूसरी बार टी20 विश्व कप जीता। यहां तक सब ठीक रहा। इसके बाद रोहित और विराट कोहली दोनों ने टी20 से संन्यास का ऐलान कर दिया। ऐसे में उपकप्तान होने के नाते भारतीय टी20 टीम के कप्तान के रूप में हार्दिक को ही चुना जाना था। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं।
सेलेक्टर्स और नए हेड कोच गौतम गंभीर ने हार्दिक पंड्या के स्थान पर सूर्यकुमार यादव को भारतीय टी20 टीम का नया कप्तान चुना। हार्दिक को उपकप्तानी के लायक भी नहीं समझा गया और उनके स्थान पर ये जिम्मेदारी शुभमन गिल को मिली। आखिर टी20 विश्व कप के बाद ऐसा क्या हुआ कि जिस हार्दिक पंड्या को व्हाइट बॉल क्रिकेट में भारत का भविष्य का कप्तान माना जा रहा था। उनसे केवल कप्तानी ही नहीं छिनी, बल्कि उन्हें उपकप्तान की जिम्मेदारी के लायक भी नहीं समझा गया। आइए जानते हैं ऐसा क्यों हुआ।
हार्दिक की लोकप्रियता कैसे कम हुई?
हार्दिक पंड्या के प्रदर्शन में कोई समस्या नहीं थी। टी20 विश्व कप में उन्होंने बल्ले और गेंद दोनों से ही कई मौकों पर भारत को जीत दिलाने का काम किया था। फिर बदलाव की क्या वजह थी? हार्दिक के साथ इस कठोर व्यवहार के पीछे क्या कारण है? भारतीय क्रिकेट में कई चीजों की तरह, इसका जवाब सीधा नहीं है। जानकारों का कहना है कि हार्दिक की फिटनेस सबसे बड़ी समस्या थी। 30 वर्षीय ऑलराउंडर के लिए चीजें सबसे पहले तब खराब होने लगीं, जब बांग्लादेश के खिलाफ वनडे विश्व कप के ग्रुप स्टेज मैच के दौरान गेंदबाजी करते समय दुर्भाग्य से उनका टखना मुड़ गया। चोट गंभीर थी और वे पांच महीने तक मैदान से बाहर रहे।
यह पहली बार नहीं था जब पंड्या को गंभीर चोट लगी हो। उन्हें पहले भी अपनी पीठ की बड़ी समस्या रही है, जिसकी वजह से वे लगभग दो साल तक गेंदबाजी नहीं कर पाए थे। टी20 विश्व कप के सिर्फ छह महीने दूर होने के कारण चयनकर्ता और बोर्ड उन्हें कप्तान के रूप में चुनने में आश्वस्त नहीं थे।
इस बीच, रोहित वनडे विश्व कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से भारत की दिल तोड़ने वाली हार के बाद आईसीसी खिताब जीतने के लिए एक और मौका चाहते थे। ऑलराउंडर की फिटनेस स्थिति अनिश्चित होने के बाद हार्दिक की जगह रोहित को कप्तान बनाने का फैसला किया गया। हेड कोच राहुल द्रविड़ को भी इस साल के टी20 विश्व कप तक टीम में बने रहने के लिए मना लिया गया था और आश्वासन दिया गया था कि वह रोहित के साथ मिलकर काम करेंगे।
इन सबके बाद आईपीएल आया, जहां हार्दिक ने एक लीडर और खिलाड़ी के रूप में बहुत खराब प्रदर्शन किया। इससे कई लोगों का उनकी क्षमताओं पर से भरोसा उठ गया। पहली नज़र में, आईपीएल में खराब प्रदर्शन का भारतीय टीम के सेलेक्शन पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए। लेकिन हार्दिक की कप्तानी ने आत्मविश्वास नहीं जगाया।
बीसीसीआई के एक अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि वो मुंबई इंडियंस के साथी खिलाड़ियों का भी भरोसा नहीं जीत पाए। ऐसे में बीसीसीआई के अंदर भी ये बात उठी कि जब वो फ्रेंचाइजी क्रिकेट में एक टीम के खिलाड़ियों के भरोसे पर खरे नहीं उतर पा रहे तो फिर टीम इंडिया को कैसे एकजुट रखेंगे।
भारतीय खिलाड़ियों को SKY पसंद है
पंड्या ने व्यक्तिगत मुद्दों के कारण श्रीलंका वनडे से ब्रेक मांगा, जिसने गंभीर के संदेह को सही साबित कर दिया। यह सब चल रहा था; बीसीसीआई को खिलाड़ियों से फीडबैक मिला। उन्होंने हार्दिक के बजाय सूर्या को प्राथमिकता दी और उनके नेतृत्व में अधिक सहज थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसा कहा जाता है कि बोर्ड को जो फीडबैक मिला, उससे खिलाड़ियों को पंड्या से अधिक सूर्या पर भरोसा था और वे उनके अधीन काम करने में अधिक सहज थे।
इसके लिए पिछले साल वनडे विश्व कप के बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुई घरेलू टी20 सीरीज के दौरान सूर्या की कप्तानी का हवाला दिया गया था। पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज और दक्षिण अफ्रीका दौरे के दौरान सूर्यकुमार के शांत दृष्टिकोण और संवाद कौशल ने भारतीय खिलाड़ियों को प्रभावित किया। टीम में कई लोगों का यह भी मानना है कि उनकी कप्तानी शैली रोहित के समान थी, जो आमने-सामने संवाद पर जोर देते थे