Pakistan Arshad Nadeem: अरशद नदीम, ये वो नाम है, जिन्होंने पाकिस्तान को 32 सालों के बाद मेडल दिलाया। पेरिस ओलंपिक में उन्होंने अपने देश का खाता गोल्ड से खुलवाया। अरशद नदीम ने जैवलिन थ्रो (भाला फेंक प्रतियोगिता) खेल में 92.97 मीटर का रिकॉर्ड तोड़ दूरी पर भाला फेंका। ओलंपिक इतिहास में यह अब तक का सबसे बेस्ट थ्रो है।
लेकिन क्या आपको पता है कि अरशद नदीम ने गोल्ड जीतने से पहले कितना संघर्ष किया है। अगर नहीं तो आज हम आपको बताते हैं।
Arshad Nadeem's journey to Olympic gold was anything but easy. With no world-class facilities or dedicated trainer, he still triumphed. Watch the training video by Lok Sujag from 4 years ago to see how this champion prepared to bring glory to Pakistan.
— Ghulam Abbas Shah (@ghulamabbasshah) August 8, 2024
Video courtesy : Lok… https://t.co/fDrekv98dL pic.twitter.com/i5JxtclT0D
खुली जगह में फेंकते भाला
अरशद नदीम ने रियो ओलंपिक 2016 में सिल्वर मेडल जीता था। उसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार कड़ी मेहनत और संघर्ष करते रहे। नदीम गांव में रहते हैं। उनके पिता मजदूरी करते हैं। परिवार गरीबी में रहकर जीवन-यापन करता है, लेकिन उन्होंने गरीबी को असफलता का कारण नहीं बनने दिया। अरशद नदीम के पास भाला तक खरीदने के पैसे नहीं रहते थे। वह खुले मैदान में भाला फेंक-फेंककर अभ्यास करते रहे।
नतीजा सबके सामने है। नदीम ने ओलंपिक में जैवलिन थ्रो का रिकॉर्ड तोड़ दिया। फाइनल में अपने दूसरे ही प्रयास में अरशद ने 92.97 मीटर का थ्रो फेंका। इतनी लंबी दूरी का थ्रो फेंकते ही पाकिस्तानी फैंस खुशी से झूम उठे। उन्हें यकीन हो गया कि नदीम ने पाकिस्तान को गोल्ड दिया है।