बिहार: गोपालगंज जिले में 33 शिक्षकों को उनकी नियुक्ति में अनियमितता पाए जाने के कारण नौकरी से हटा दिया गया। यह कदम हाईकोर्ट के उस फैसले के बाद उठाया गया है, जिसमें राज्य अपीलीय प्राधिकारी के आदेश को बरकरार रखा गया।
जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) योगेश कुमार ने बताया कि इन शिक्षकों की नियुक्ति उन पदों पर की गई थी, जिन्हें आधिकारिक तौर पर खाली घोषित नहीं किया गया था। ये पद 2010 के बाद उन शिक्षकों के रिजाइन या निधन के बाद खाली हुए थे, लेकिन इन्हें खाली घोषित नहीं किया गया था। हालांकि, जिला अपीलीय प्राधिकारी ने बाद में इन पदों को खाली घोषित कर दिया और 33 शिक्षकों की नियुक्ति की।
जिला शिक्षा पदाधिकारी का बयान
DEO योगेश कुमार ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया, "2010 के बाद कुछ ऐसे पद थे, जहां पहले से तैनात शिक्षकों का निधन या इस्तीफा हो गया था, लेकिन इन पदों को खाली घोषित नहीं किया गया था। हालांकि, जिला अपीलीय प्राधिकारी ने इन पदों को खाली घोषित कर दिया और इन 33 शिक्षकों की नियुक्ति की। इसके खिलाफ हमने राज्य अपीलीय प्राधिकारी का दरवाजा खटखटाया, जिसने इन शिक्षकों को सेवा से मुक्त करने और उन्हें दिए गए वेतन की वसूली का आदेश दिया। जिसके बाद इन शिक्षकों ने हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन हाईकोर्ट ने भी हमारे पक्ष में फैसला सुनाया।"
#WATCH | Gopalganj, Bihar | On 33 teachers dismissed from service in Gopalganj district, District Education Officer Yogesh Kumar says, "After 2010, some seats of which the presiding teachers had either died or resigned had not been declared vacant. But, the District Appellate… pic.twitter.com/Djjt3bRAhG
— ANI (@ANI) March 22, 2025
हाईकोर्ट से शिक्षकों को नहीं मिली राहत
राज्य अपीलीय प्राधिकारी ने इन नियुक्तियों को अमान्य करार दिया और इन शिक्षकों को सेवा से मुक्त करने का आदेश दिया। साथ ही, इन शिक्षकों को दिए गए वेतन की वसूली का भी निर्देश दिया गया। इसके बाद, प्रभावित शिक्षकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन हाईकोर्ट ने राज्य अपीलीय प्राधिकारी के फैसले को बरकरार रखा।