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Jitan Ram Manjhi Credits Support to Nitish Kumar: जीतन राम मांझी बिहार के 23वें मुख्यमंत्री बने थे। 20 फरवरी 2014 से 20 फरवरी 2015 तक सीएम थे। महज 9 महीने के कार्यकाल के बाद उन्हें नीतीश कुमार के दबाव में इस्तीफा देना पड़ा था। 

Jitan Ram Manjhi Credits Support to Nitish Kumar: सत्ता में यदि अपनी अहमियत बरकरार रखनी है तो एहसान करते और जताते रहिए। यह बात किसी दार्शनिक ने नहीं कही है, बल्कि बिहार की मौजूं राजनीति पर लागू होती है। पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने बिहार में एनडीए के साथ सरकार बनाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना समर्थन देकर उनका एहसान चुकाया है।

एहसान क्या था, खुद मांझी ने बताया
एक कार्यक्रम में बोलते हुए जीतन राम मांझी ने याद किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फ्लोर टेस्ट के दौरान बिहार विधानसभा में कुल 125 वोट हासिल किए थे। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने कुमार को चार वोट दिलाने में योगदान दिया। बीते महीने महागठबंधन से नाता तोड़ने के बाद नीतीश कुमार ने नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

मांझी ने कहा कि बिहार विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 122 वोटों की जरूरत थी और नीतीश कुमार को 125 वोट मिले। हमारा योगदान चार वोटों का था। अगर उन 4 वोटों को हटा दिया जाए तो यह 121 वोट होते हैं। अगर हम ऐसा नहीं करते तो नीतीश जी की सरकार गिर जाती।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि नीतीश कुमार ने मुझे मुख्यमंत्री बनाया था, इसलिए अब मैं कह सकता हूं कि मैंने भी अपना एहसान चुकाया है। बल्कि हमारा एहसान अब ज्यादा है। 

मांझी ने आगे कहा कि नीतीश कुमार ने एनडीए में शामिल होकर सही फैसला लिया है। उन्होंने बिहार के लोगों से उनकी सरकार के लिए वोट करने की अपील की और कहा कि वह राज्य में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लागू करने की दिशा में काम करेंगे।

नीतीश पर क्या मांझी ने किया पलटवार?
नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार के दौरान जातिगत सर्वे कराया था। जिसका आंकड़ा उन्होंने विधानसभा में रखा। इस दौरान सदन में जीतन राम मांझी ने जातिगत सर्वे पर सवाल उठाए थे। नीतीश कुमार नाराज हो उठे थे। उन्होंने अपनी सीट से खड़े होकर कहा था कि इसको कौन जानता था। मेरी मूर्खता की वजह से मुख्यमंत्री बन गया था। इसे कोई समझ है?

दरअसल, जीतन राम मांझी बिहार के 23वें मुख्यमंत्री बने थे। जबकि दलित समुदाय के तीसरे मुख्यमंत्री थे। 20 फरवरी 2014 से 20 फरवरी 2015 तक सीएम थे। महज 9 महीने के कार्यकाल के बाद उन्हें नीतीश कुमार के दबाव में इस्तीफा देना पड़ा था। 

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