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Bihar Politics: पटना में विरोध प्रदर्शन के दौरान तेजस्वी यादव ने रविवार, 1 सितंबर को कहा, समाज में आज भी भेदभाव है। जाति के नाम पर गालियां मिलती हैं। दलित पूजा नहीं कर पाते। जनणना की मांग पर भाजपा बांटने का आरोप लगाती है।

Bihar Politics: राष्ट्रीय जनता दल ने रविवार को जातिगत जनगणना और आरक्षण के मुद्दे पर पटना में बड़ा आंदोलन किया। धरना प्रदर्शन के बाद बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा, NDA की मंशा ही नहीं कि अंतिम पायदान पर खड़ा समाज आगे बढ़े और सबके साथ बैठे। भाजपा के लोग नहीं चाहते कि समाज में बराबरी हो। वह चाहते हैं कि कचरा उठाने वाले परिवारों की आगामी पीढ़ी जिंदगी भर वही काम करें। भूमिहीन को जमीन न मिले, भिखारी को जीवन भर भिखारी बनाकर रखो और चंद लोग मलाई खाते रहें।

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तेजस्वी ने कहा, समाज में आज भी भेदभाव है। जाति का नाम लेकर गालियां दी जाती हैं। दलितों को बेटे की शादी में मंदिर में पूजा नहीं करने दी जाती। लेकिन हम लोग जब जातिगत जनणना की मांग करते हैं तो भाजपा के लोग समाज को बांटने का आरोप लगाते हैं। उन्होंने पूछा, आखिर क्यों सभी बड़े समाजवादी नेताओं ने समय-समय पर जाति आधारित जनगणना की बात कही है? 

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तेजस्वी यादव ने पूछा, लोग अपने नाम के आगे जाति लिखते हैं। यह व्यवस्था क्या तेजस्वी, लालू या राष्ट्रीय जनता दल ने बनाई है? यादव, मिश्रा, दास या कुशवाहा किसने बनाया। हम तो बराबरी की बात कहते हैं। कोई किसी जाति का व्यक्ति हो उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए? 

तेजस्वी यादव ने कहा, हम तो सिर्फ इतना चाहते हैं कि सर्वाधिक गरीबी किस जाति में है, यह पता कर उन समाज के लोगों को गरीबी से बाहर निकालने का प्रयास हो, लेकिन सत्ता में बैठे लोग सुनने को तैयार नहीं हैं। 

तेजस्वी ने कहा, महागठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री रहते हमने पिछड़े, अति-पिछड़े, दलित समाज के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाने का काम किया। हम उसे सुरक्षित भी करना चाहते थे। हमारे पार्टी के सांसद मनोज झा ने संसद में सवाल पूछा तो भारत सरकार के लोगों ने गोल-मोल जवाब देते हुए राज्य सरकार पर डाल दिया। नौंवी अनुसूचि का मामला राज्य सरकार नहीं है। 

संजय झा के बयान पर पलटवार 
तेजस्वी यादव ने JDU सांसद संजय झा के बयान भी पलटवार किया। कहा, हम जब 17 महीने सत्ता में थे तभी तो आरक्षण की सीमा बढ़ाई गई है। NDA सरकार में ऐसा क्यों नहीं हुआ? नौटंकी तो वह लोग करते हैं। आरक्षण को नवीं अनुसूचि में क्यों नहीं डाला जा रहा है? आज जो बयान दे रहे हैं, उन्होंने ही तो मेरे साथ बैठकर आरक्षण की घोषणा की थी। 5 लाख नौकरी हमारी सरकार ने दी है। खेल नीति, शिक्षा नीति उसी दौरान बनी है। NDA में नाकारात्मक लोग हैं। सकारात्मक बात करने पर उन्हें तकलीफ होती है।  

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