Logo
बोरी में जल जीवन मिशन के तहत 1 करोड़ 6 लाख रुपये की लागत से टंकी का निर्माण तो कर दिया गया हैं। लेकिन एक साल बाद भी ग्रामीण पानी के लिए तरस रहे हैं। 

अक्षय साहू-राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में पानी की किल्लत को लेकर जूझ रहे हैं। लोगों का कहना है कि, विभाग द्वारा ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए शासन के करोड़ों रुपयों का जमकर दुरुपयोग किया जा रहा है। शहर से लगे ग्राम बोरी में जल जीवन मिशन के तहत 1 करोड़ 6 लाख रुपये की लागत से टंकी का निर्माण तो कर दिया लेकिन एक साल बाद भी ग्रामीण पानी के लिए तरस रहे हैं, जिसका प्रमुख कारण है अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता।

सरकारी योजना और विकास कार्यों के क्रियान्वयन में राशि का किस तरह दुरूपयोग किया जा रहा है। इसका जीवंत उदाहरण नगर के निकटवर्ती ग्राम बोरी में देखा जा सकता हैं। जहां 1 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर टंकी का निर्माण करने के बाद भी ग्रामीण पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं और गन्दा पानी पीने के लिए मजबूर हैं। शासन द्वारा पानी की आपूर्ति करने के लिए जल जीवन मिशन संचालित किया जा रहा है। वहीं पीएचई विभाग द्वारा खानापूर्ति करने के लिए टंकी का निर्माण कर दिया गया लेकिन घरों में पाइप लाइन पहुंचाने का काम ही नहीं किया गया। वहीं करोड़ों की लागत से बनी टंकी का उपयोग नहीं होने से वह दिन ब दिन खंडहर में बदलते जा रहे हैं। इसके बाद भी उसका योजना की मंशा के अनुरूप उपयोग करने में अधिकारी रूचि नहीं दिखा रहे हैं। 

तीन हजार लोग गंदा पानी पीने को मजबूर 

इस मामले में ग्रामीणों का कहना है कि, सरपंच, सचिव और विभाग से कई बार इसकी शिकायत की गई लेकिन जिम्मेदारों के कानों में जूं तक नहीं रेंगी, जिसके कारण 3 हजार की आबादी वाला यह गांव गन्दा पानी पीने के लिए मजबूर है। इस मामले में बोरी निवासी मदन लाल गेन्ड्रे ने बताया कि, टंकी का निर्माण हुआ 1 साल हो गया लेकिन उसमें अभी तक पानी नहीं आ रहा है। अभी तक पानी के लिए जनता तरस रही है, एक पुरानी टंकी है उसी से गुजारा हो रहा है। उस टंकी से भी कभी पानी आता है  कभी नहीं आता है। 

ठेकेदारों से सांठगांठ का लगाया आरोप 

उन्होंने आगे कहा कि, ठेकेदारों से सांठगांठ कर पीएचई विभाग शासन की योजनाओं को पलीता लगा रहा है। ठेकेदारों को अनुचित रूप से अधिक लाभ पहुंचाने के लिए विभाग द्वारा खुली छूट दे दी गई है। शहर से लगे बस्ती में जब यह स्थिति है तो सुदूरवर्ती इलाकों में तो भगवान ही मालिक है। बहरहाल देखना होगा कि, कब ग्रामीणों की गुहार शासन प्रशासन के कानों तक पहुंचेगी और कब तक ग्रामीणों को पानी की समस्या से निजात मिल पायेगा।

5379487