Lok Sabha Election Rajnandgaon: छत्तीसगढ़ की भाजपा ने सभी 11 सीटों और कांग्रेस ने छह सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। कांग्रेस ने पहली सूची में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और ताम्रध्वज साहू सहित पार्टी के दिग्गज नेताओं पर दांव लगाया है। भूपेश को प्रत्याशी बनाए जाने से राजनांदगांव लोकसभा सीट की लड़ाई दिलचस्प होने की संभावना है। हालांकि, रमन सिंह के प्रभाव वाली इस सीट पर भूपेश बघेल भाजपा को कितनी चुनौती दे पाएंगे यह बात देखने वाली होगी।
मोतीलाल बोरा के बाद नहीं जीत पाई कांग्रेस
राजनांदगांव से पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और पूर्व सीएम मोतीलाल बोरा भी सांसद रह चुके हैं। 1971 से अब तक यहां लोकसभा के 13 चुनाव हुए। इनमें से आठ बार भाजपा और पांच चुनाव कांग्रेस ने जीते हैं। कांग्रेस प्रत्याशी के तौर 1998 में अंतिम बार पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल बोरा ने जीत दर्ज की थी, तब से कांग्रेस ने अमूनन हर बार प्रत्याशी बदले, लेकिन कभी जीत नहीं मिली।
राजनांदगांव की 8 में से पांच सीटों पर कांग्रेस विधायक
राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की आठ सीटें हैं। इनमें से पांच कांग्रेस के कब्जे में हैं। राजनांदगांव से भाजपा के रमन सिंह, कवर्धा से बीजेपी के विजय शर्मा और पंडरिया से बीजेपी की भावना वोहरा विधायक हैं। जबकि, डोंगरगांव से कांग्रेस विधायक दलेश्वर साहू, खुज्जी से कांग्रेस के भोलाराम साहू, मोहला-मानपुर से कांग्रेस के इंद्रशाह मंडावी, डोंगरगढ़ से कांग्रेस हर्षिता बघेल, खैरागढ़ से कांग्रेस की यशोदा वर्मा विधायक हैं।
राजनांदगांव लोकसभा सीट का जातिगत समीकरण
राजनांदगांव ओबीसी बहुलता वाली सीट मानी जाती है। 8 से 9 लाख मतदाता यहां ओबीसी के हैं। इनमें से सर्वाधिक 4 से 5 लाख साहू समाज की है। हालांकि, जातिगत फैक्टर यहां कभी नहीं चलता। अक्सर सामान्य वर्ग से ही सांसद चुने जाते रहे हैं। कांग्रेस ने पिछली बार भोलाराम साहू को कैंडीडेट बनाया, लेकिन भाजपा के संतोष पांडेय ने 50 फीसदी से ज्यादा वोट लेकर विजयी हुए। डोंगरगांव, खुज्जी, राजनांदगांव शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में भी क्षेत्र में साहू समाज की बाहुलता है। मानपुर-मोहला क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है। यहां ओबीसी 5 प्रतिशत के करीब है। जबकि, खैरागढ़ क्षेत्र में लोधी समाज, डोंगरगढ़ सीट एसटी बाहुलता है। पंडरिया और कवर्धा क्षेत्र में अलग-अलग जाति के लोग हैं।
राजनांदगांव से अब तक यह रहे सांसद
राजनांदगांव से 1957 और 1962 में बीरेन्द्र बहादुर सांसद चुने गए। इसके बाद पद्मावती देवी सिंह, राम सहाय पांडेय, मदन तिवारी, शिवेन्द्र बहादुर, अशोक शर्मा, मोतीलाल वोरा, डॉ. रमन सिंह, प्रदीप गांधी, देवव्रत सिंह, मधुसूदन यादव, अभिषेक सिंह सांसद और संतोष पांडेय सांसद चुने गए। लगभग सभी सामान्य वर्ग से हैं।
भूपेश बघेल का राजनीतिक करियर
भूपेश बघेल दुर्ग जिले की पाटन विधानसभा क्षेत्र से आते हैं, जो दुर्ग लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। पिछले चार बार वह पाटन से ही विधायक निर्वाचित हो रहे हैं। इससे पहले 2004 में दुर्ग और 2009 में रायपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। एक बार विधानसभा चुनाव भी हार चुके हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी लोकप्रियता औरा राजनीतिक कद दोनों में इजाफा हुआ है।
#WATCH | On his candidature from Rajnandgaon, Former Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel says, "I thank the Party High Command for showing trust in me. We will fulfill the trust shown in all of us. It is a good list of candidates..." pic.twitter.com/B26EKTKGH5
— ANI (@ANI) March 8, 2024
- 1980 में भूपेश बघेल ने यूथ कांग्रेस के जरिए सियसत में कदम रखा था। कार्यकुशलता को देखते हुए पार्टी ने युवक कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया।
- 1994-95 में भूपेश बघेल मप्र यूथ कांग्रेस के उपाध्यक्ष बनाए। 93 में दुर्ग जिले की पाटन सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा। भतीजे विजय बघेल को हराकर विधायक और फिर मंत्री बने।
- 2002 में छत्तीसगढ़ गठन के बाद भी सरकार में मंत्री रहे, लेकिन 2003 में भाजपा की सरकार बनी तो भूपेश को नेता प्रतिपक्ष चुना गया।
- 2004 में भूपेश बघेल को दुर्ग से लोकसभा चुनाव लड़ाया गया, लेकिन वह भाजपा उम्मीदवार ताराचंद्र साहू से हार गए।
- 2009 में भूपेश बघेल को रायपुर से लोकसभा चुनाव लड़ाया गया, लेकिन रमेश बैश से हार गए।
- 2014 में भूपेश बघेल को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया, जिसके बाद उन्होंने प्रदेशभर का दौरा कर संगठन मजबूत किया। और 2018 में कांग्रेस भारी बहुमत की सरकार बनवाने में सफल रहे।