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छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में 50 फीसदी मरीज मुख से जुड़े हैं, जिसकी बड़ी वजह पान मसाला और तंबाकू का मिक्स है।

विकास शर्मा - रायपुर। दशक भर पूर्व लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए तंबाकूयुक्त गुटखा पर प्रतिबंध लगाया गया था। कई स्टडी में साबित हुआ था कि गुटखे की वजह से बड़ी संख्या में लोग कैंसर के शिकार हो रहे हैं। उम्मीद थी कि बैन लगने के बाद कैंसर मरीजों की संख्या में कमी आएगी। लेकिन हुआ इसके उल्टा  लोगों ने पान मसाला और तंबाकू का पैकेट मिक्स कर खाना शुरू कर दिया। नतीजा गले और मुख के कैंसर के साथ प्रदेश में हृदय रोग सहित अन्य बीमारियों के मरीज भी बढ़ने लगे हैं। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में 50 फीसदी मरीज मुख से जुड़े हैं, जिसकी बड़ी वजह पान मसाला और तंबाकू का मिक्स है।

पान मसाला और तंबाकू की पुड़िया बेहद सस्ता नशा है जो हर आयु और वर्ग की पहुंच में है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि पान मसाला और तंबाकू की पुड़िया खुलेआम पान ठेलों के साथ किराना दुकान और चाय-नाश्ते के ठेले खोमचे में भी खुलेआम बिक रही है। चिकित्सकों का कहना है कि पान मसाला और तंबाकू को मिलाकर फांका मारना गुटखा की तुलना में ज्यादा खतरनाक है। पान मसाला और तंबाकू का मिक्स मसाला कैंसर के मरीजों की संख्या में इजाफा कर रहा है। इसके साथ दूसरी तरह की गंभीर बीमारियां भी लोगों को अपना शिकार बना रही है।

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हार्ट और पेट की खराबी भी 

आंबेडकर अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार, ज्यादातर लोग तंबाकू मिलाकर पान मसाला खाने के दौरान उसे थूकने के बजाए गटक जाते हैं। लंबे समय से इसके उपयोग से पेट में गैस, एसिडिटी सहित अन्य समस्या, बीपी, किडनी में स्टोन के साथ हृदय रोग की आशंका भी होती है। तंबाकू के सेवन से कैंसर के साथ टीबी जैसी गंभीर बीमारी का खतरा भी होता है।

गुटखा भी बिक रहा 

प्रदेश में गुटखा की बिक्री पर भले ही प्रतिबंध लगाया गया है मगर इसकी बिक्री अभी भी बिना रोक टोक के हो रही है। प्रतिबंध की वजह से इसकी कीमत जरूर बढ गई है मगर कई कंपनियों की हर महीनों करोड़ों रुपए के गुटखे की खपत हो रही है। पान मसाला और तंबाकू के अलग-अलग पुड़िया उपलब्ध कराने में स्थानीय के साथ नामी कपनियां भी पीछे नहीं है और इनकी संख्या सैंकड़ों में है।

आंबेडकर में हर साल डेढ़ हजार मरीज

आंबेडकर अस्पताल में संचालित क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में हर साल तंबाकू का उपयोग करने की वजह से डेढ़ हजार नए मरीज पहुंचते हैं। आंकड़ों के अनुसार यहां सालाना पांच हजार कैंसर पीड़ित अपने इलाज के लिए आते हैं जिसमें से आधे गले और मुख से संबंधित कैंसर के पीड़ित होते हैं जिसमें से साठ फीसदी की बीमारी की वजह तंबाकू का सेवन होता है।

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कम नहीं हुए केस

आंबेडकर अस्पताल कैंसर विभाग के एचओडी डॉ. विवेक चौधरी ने बताया कि, तंबाकू के सेवन की वजह से कैंसर पीड़ित होने वालों की संख्या में किसी तरह की कमी नहीं हुई है। रोकथाम के लिए तंबाकू से संबंधित तमाम उत्पादों को पूर्णतः प्रतिबंधित करने की आवश्यकता है। सालाना आने वाले कैंसर के मरीजों में 50 प्रतिशत गले और मुख से संबंधित होते हैं। 

गंभीरतापूर्वक मनन

स्वास्थ्य मंत्री  श्याम बिहारी जायसवाल ने बताया कि, तंबाकू के सेवन की वजह से बढ़ती बीमारियों की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। तंबाकू की बिक्री को कैसे कम किया जा सकता है। इस पर उच्च स्तर पर मनन किया जा रहा है। इसके साथ ही इससे होने वाली दुष्प्रभाव की जानकारी विभिन्न माध्यम से आम लोगों को देकर उन्हें जागरूक बनाने का प्रयास भी किया जा रहा है।

 

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