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छत्तीसगढ़ में 122 नहीं दो सौ से ज्यादा तालाब भू माफिया निगल गए हैं।  एनजीटी ने कब्जा हटाने के लिए टाइम लिमिट भी तय की है। लेकिन हालात इससे भयावह हैं। 

रायगढ़। तालाब हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत होते हैं। हमारे पुरुखों ने जल के महत्व को समझा और हर गांव, शहर में तालाब तैयार कराए। लेकिन इनकी जमीन पर भू माफिया और रसूखदारों की नजर लग गई। कब्जे कर लिए गए। दशकों तक केवल फाइलें चलती रहीं और अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने छत्तीसगढ़ सरकार को एक लिस्ट सौंपी है। इसमें 122 तालाबों का जिक्र है जिन पर कब्जा किया गया है। एनजीटी ने कब्जा हटाने के लिए टाइम लिमिट भी तय की है। लेकिन हालात इससे भयावह हैं। 

छत्तीसगढ़ में 122 नहीं दो सौ से ज्यादा तालाब भू माफिया निगल गए हैं। हरिभूमि पहली किस्त के तौर पर रायगढ़ की हकीकत बयां कर रहा है। शहर की सीमा में स्थित तालाबों की हालत दयनीय है। सहेजे जाने के बजाय इनको अतिक्रमणकारियों के हवाले कर दिया गया है। एक-दो तालाबों को बचाने के लिए सौंदर्याकरण हुआ लेकिन बाकी पर ध्यान नहीं दिया गया। साल दर साल तालाबों की संख्या कम होती गई और सीमाएं सिकुड़ती गई। अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राज्य सरकार से पूछा है कि तालाबों से कितना अतिक्रमण हटाया गया है।

कौहाकुंडा तीन हिस्सों में बंटा 

विशाल जलाशय कौहाकुंडा में है। पिछले कुछ सालों में यहां एक किनारे से अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। तालाब के बीच में मिट्टी पाटकर इसे तीन हिस्सों में बांट दिया गया है। एक तरफ से बंशी एन्क्लेव कॉलोनी की बाउंड्रीवॉल है। एक तरफ मेट्रो हॉस्पिटल है। पहाड़ का पानी आकर तालाब में भरता था। लेकिन शासकीय जमीन पर कब्जे के कारण अब पानी यहां तक पहुंच ही नहीं पाता। तालाब को भी बर्बाद किया जा रहा है।

इन तालाबों पर भी कब्जा 

शहर के अंदर कई तालाब अब धीरे-धीरे गायब हो जाएंगे। डीएफओ ऑफिस के सामने तालाब, मत्स्य विभाग के बाजू में तालाब, फटहामुड़ा तालाब, मिट्ठमुड़ा तालाब, भुजबंधान तालाब, रामपुर समेत कई क्षेत्रों में तालाबों में अतिक्रमण और गंदगी है। कभी भी विधिवत कार्रवाई नहीं की गई। स्थानीय पार्षदों ने भी अतिक्रमण को बढ़ावा ही दिया है। 

एनजीटी ने किया था कमेटी का गठन

 जांजगीर जिले के बलौदा निवासी जगदीश प्रसाद देवगन ने सार्वजनिक जल स्त्रोतों पर अतिक्रमण के मुद्दे पर एनजीटी की सेंट्रल जोन बेंच में आवेदन प्रस्तुत किया था। एनजीटी ने इस विषय में एक कमेटी का गठन किया, जिसमें प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन विभाग का एक प्रतिनिधि, प्रमुख सचिव ग्रामीण विकास विभाग का एक प्रतिनिधि, सीईसीबी का एक प्रतिनिधि और प्रमुख सचिव जल संसाधन विभाग का एक प्रतिनिधि शामिल थे। इस कमेटी को सभी जिलों से जानकारी मंगवाकर राज्य की ओर से जानकारी प्रस्तुत की। उस जल स्त्रोत का राजस्व अभिलेखों में क्षेत्रफल, वर्तमान स्थिति, अतिक्रमण हटाने की गई कार्रवाई की जानकारी प्रस्तुत की है।

अतिक्रमण से घिरा बाघ तालाब

दो हिस्सों में बंटे रियासतकालीन बाघ तालाब के किनारे अभी भी अतिक्रमण जारी है। पहले तो बाघ तालाब को एक साथ बेचने की भी तैयारी कर ली गई थी। अभी भी टुकड़ों में बाघ तालाब की जमीन बेची जा रही है। जिसने कभी 300 वर्गफुट में एक झोंपड़ी बनाई, उसने बाघ तालाब की 3000 वर्गफुट जमीन हथिया ली है। बड़े अतरमुड़ा में वार्ड 26 मंगल भवन के पास तालाब पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। धीरे-धीरे यहां आधे हिस्से में अतिक्रमण हो गया। अब बचा खुचा तालाब गंदगी से पटा हुआ है। मंगल भवन में जो भी कार्यक्रम होते हैं, उसका पूरा कचरा तालाब में डाल दिया जाता है। जलकुंभी पूरे तालाब में फैल गई है। सौंदर्याकरण और अतिक्रमण हटाना तो दूर, इसकी सफाई तक नहीं कराई गई।

30 तालाबों में अतिक्रमण

एक जानकारी के मुताबिक रायगढ़ शहर की सीमा में करीब 30 तालाब हैं, जिनमें से सभी पर अतिक्रमण है। इसे हटाने की कोशिश कभी नहीं की गई। बाघ तालाब तो तकरीबन खत्म हो चुका है। फटहामुड़ा, अतरमुड़ा, विजयपुर, भगवानपुर, जगतपुर, छातामुड़ा, सांगीतराई, कोकड़ीतराई आदि सभी जगहों पर तालाबों में अतिक्रमण है।

इन तालाबों पर पाया गया अतिक्रमण

नगर निगम द्वारा सर्वे कर एनजीटी को बेजाकब्जा की चपेट में आये तालाबों की सूची प्रेषित की थी जिसमें ढिमरापुर तालाब, दरीं तालाब, गंगाराम तालाब, जगतपुर तालाब, पुछापारा तालाब, बालसमुंद तालाब, कौहाकुण्डा तालाब, कैदीमुड़ा तालाब, मयाराम तालाब बोईरदादर एवं राजीव नगर तालाब शामिल हैं। गौरतलब है कि उक्त तालाबों के अलावा शहर के कई तालाब ऐसे हैं जिनमें लगातार अतिक्रमण होते गया और आज उनका अस्तित्व की समाप्ति की ओर है। इन पर नगर निगम द्वारा किसी प्रकार का ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

हटाया जाएगा अतिक्रमण

नगर पालिक निगम रायगढ़ के आयुक्त सुनील चंद्रवंशी ने बताया कि, विगत एक वर्ष से लगातार चुनाव और आचार संहिता के कारण अतिक्रमण से जुड़े मामलों में कारवाई सुचारु रुप से नहीं चल सकी, लेकिन समय समय पर तालाब व नालों से अतिक्रमण हटाए गए हैं। सरोवरों के आस पास अवैध अतिक्रमण की सूची बन चुकी है जल्द ही बड़ी कार्ययोजना बनाकर कब्जे हटाए जाएंगे।

 


 

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