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इस योजना में शासन ने सामान्य शिकायतों पर इलाज के लिए जनरल वार्ड में दवाओं सहित 21 सौ आईसीयू का चार्ज 8500, वेंटिलेटर के साथ 9500 तथा डायग्नोसिस मिलाकर 13 हजार तय किया है।

रायपुर। सरकार ने गरीबों के मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान के जरिए पिटारा खोला है, लेकिन इस पिटारे से मरीजों से ज्यादा अस्पतालों को फायदा हो रहा है। सरकार की इस छूट पर लूट के लिए कई तरीके अजमाए जा रहे हैं। नोडल एजेंसी को मिली शिकायतों में कई अस्पतालों की पैंतरेबाजी सामने आई है। बताया जा रहा है कि कई तरीकों में से एक आसान तरीका आईसीयू का रास्ता है। जनरल वार्ड में 2100 की जगह आईसीयू में मरीजों को रखकर 8500 का बिल बनाना अस्पतालों के लिए आसान और फायदेमंद है। इस साल के आंकड़े बताते हैं कि आयुष्मान कार्ड के जरिए 10 लाख से ज्यादा मरीजों ने इलाज कराया है, इनमें से 30 फीसदी के इलाज के लिए निजी अस्पतालों ने क्लेम किया है। 

नोडल एजेंसी के पास आ रही शिकायतों से पता चलता है कि कार्ड के सस्ते पैकेज से पूरा होने वाले इलाज को महंगा दिखाकर शासन से पैसा वसूल किया जा रहा है। कभी कार्ड ब्लाक करने के लिए सर्वर स्लो, तो कभी पैकेज कम खर्च ज्यादा के बहाने बनाकर मरीजों के परिजनों से नकदी वसूली जा रही है। शासन द्वारा पांच लाख से पचास हजार तक की सुविधा वाले आयुष्मान कार्ड में अलग-अलग बीमारियों तथा अन्य सुविधा के लिए पैकेज का निर्धारण किया गया है। इसके लिए तमाम शासकीय अस्पतालों के साथ साढ़े पांच सौ से अधिक निजी अस्पताल पंजीकृत हैं। योजना के तहत 11 सौ से अधिक बीमारियों के इलाज की सुविधा दी जाती है। इसमें निजी अस्पताल छोटे और कम पैकेज वाली बीमारी को बड़ा बताकर शासन से पैसा वसूल रहे हैं। इतना ही नहीं, ओपीडी में जांच सहित अन्य प्रक्रिया का शुल्क लेने के बाद आईपीडी के दौरान विभिन्न बहानों से मरीजों से पैसे वसूल किए जा रहे हैं। इसके बाद दूसरे पैकेजों का क्लेम कर शासन से राशि की डिमांड की जा रही है। 

अस्पतालों से आया जवाब, फैसला बैठक में 

पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वास्थ्य योजना से इलाज के नाम पर ज्यादा पैसे का क्लेम करने के मामले में 28 अस्पतालों को नोटिस जारी किया गया था। अस्पतालों को तीन दिन के भीतर अपना पक्ष रखने का वक्त दिया गया था। स्टेट नोडल एजेंसी के उपसंचालक डॉ. खेमराज सोनवानी का कहना है कि 90 फीसदी अस्पतालों ने गड़बड़ी के आरोप में अपना जवाब भेजा है। इसे आने वाले दिनों में वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में रखा जाएगा। उनका पक्ष संतोषजनक नहीं पाया जाता है, तो योजना से निलंबन सहित अन्य कार्रवाई की जाएगी।

आईसीयू के क्लेम ज्यादा

सूत्रों का कहना है कि निजी अस्पतालों द्वारा ज्यादातर क्लेम मरीजों के आईसीयू में इलाज और डायग्नोसिस टेस्ट के नाम पर किया जाता है। इसकी वजह इसका पैकेज अधिक होना है। योजना में शासन द्वारा सामान्य शिकायतों पर इलाज के लिए जनरल वार्ड में दवाओं सहित 21 सौ आईसीयू का चार्ज 8500, वेंटिलेटर के साथ 9500 तथा डायग्नोसिस मिलाकर 13 हजार तय किया है।

तीस फीसदी मरीज निजी अस्पताल में

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2023- 24 में 70 प्रतिशत क्लेम यानी 10.92 लाख हितग्राहियों ने - योजना के तहत सरकारी अस्पताल में अपना इलाज करवाया था। निजी अस्पताल में तीस प्रतिशत उपचार के लिए आए थे। पिछले साल खास्थ्य योजना के लिए आठ सौ करोड़ का बजट था जो 23 सौ करोड़ तक पहुंच गया था।

ऐसे करते हैं गड़बड़झाला

■ पैकेज में केवल बेड चार्ज दिखाकर मरीजों से दवाओं और जांच की वसूली।
■ दिक्कत बताकर परिजनों से अतिरिक्त पैसे की डिमांड।
■ पैकेज की राशि कम और इलाज का खर्च ज्यादा बताकर बड़ा बिल थमाना।

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