ललित राठोड़ - रायपुर। भारतीय रेलवे में अधिक माल ढुलाई करने दो या तीन ट्रेनों को जोड़कर बनाई गई विशेष लॉग हॉल मालगाड़ी दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन की आय में बढ़ोतरी के साथ रेल राजस्व बढ़ाने में तो मददगार साबित हो रही है, लेकिन इसका परिचालन बढ़ने से अब पैसेंजर ट्रेनों की रफ्तार भी धीमी होने लगी है, क्योंकि इस मालगाड़ी में 130 डिब्बे होते हैं और इसकी लंबाई लगभग डेढ़ किलोमीटर होती है, जिसे एक स्टेशन से गुजरने में 10 मिनट का समय लग जाता है। यह ट्रेन जहां से गुजरती है, पैसेंजर ट्रेन को रोक दिया जाता है। शेषनाग के बाद लॉग हॉल को सबसे लंबी मालगाड़ी बताया जा रहा है। रेलवे ने 2020 में शेषनाग की शुरुआत की थी। अब यहां से लॉग हाल मालगाड़ी हफ्ते में तीन दिन चलने लगी है।
ट्रेनों को जोड़कर बनाई जा रही
कम समय में अधिक माल ढुलाई के लिए दो व तीन ट्रेनों को जोड़कर एक मालगाड़ी बनाई जा रही है। जानकारी के मुताबिक जोन में लगभग ऐसी तीन लॉग हॉल मालगाड़ी का परिचालन रायपुर, नागपुर, कटनी, झारसुगुड़ा रूट पर किया जा रहा है।
इसलिए लंबी दूरी की ट्रेन चल रही लेट
लॉग हॉल मालगाड़ी चलाकर ज्यादा से ज्यादा कोयला अलग- अलग राज्यों को भेजने के लिए यात्री ट्रेनों को धीरे चलाया जा रहा है। इससे लंबी दूरी की लगभग सभी ट्रेनें घंटों विलंब से चल रही हैं। इससे भरी गर्मी में यात्री परेशान हो रहे हैं। आमतौर पर मालगाड़ियां एक के बाद एक चलाई जा रहीं थीं, तर लेकिन वर्तमान में दो व तीन मालगाड़ियों को जोड़कर लॉग हॉल चलाई जा रही है। खाली रैक भी और भरी रैक भी। दो रैक जोड़कर एक ही समय में ज्यादा कोयला संबंधित संस्थान या राज्यों को भेज रहे हैं। इसके बाद भी कोयला की आपूर्ति कम हो रही है। लॉग हॉल की वजह से स्टेशनों और क्रासिंग पाइंट पर पैसेंजर ट्रेनों को रोकना पड़ रहा है, क्योंकि लॉग हाल को गुजरने में ही काफी समय लगता है।
दो रैक को जोड़कर
दपूमरे के सीपीआरओ विकास कश्यप ने बताया कि, जोन के सभी रूट में दो रैक को जोड़कर लॉग हॉल मालगाड़ी को चलाया जा रहा है। इससे समय की बचत और अधिक माल ढुलाई में मदद मिल रही है।