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हाईकोर्ट ने साल 2011 में बर्खास्त हुए 6 होमगार्ड्स की बहाली के आदेश जारी किए हैं। साथ ही उन्हें लंबित देयकों का भुगतान भी राज्य सरकार दे।

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में गुरुवार को बिलासपुर हाईकोर्ट ने साल 2011 में बर्खास्त हुए 6 होमगार्ड्स की बहाली के आदेश जारी किए हैं। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि, लंबित देयकों का भुगतान भी राज्य सरकार इन्हें दे। साल 2011 में होमगार्ड्स के साथ पुलिस जवानों ने भी साथ में प्रदर्शन किया था। 

हाईकोर्ट में जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने अपने फैसले में कहा कि, अपने हित के लिए एसोसिएशन बनाना इनका संवैधानिक अधिकार है। इस आधार पर शासकीय कर्मचारी को बर्खास्त करना उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन करना है। आपको बता दें कि, वर्ष 2011 में शासन ने संगठन बनाने वाले होमगार्ड्स को बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद चित्रसेन, जगजीवन, त्रिलोचन समेत चार अन्य ने मिलकर अपने एडवोकेट के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने बताया कि, उनकी नियुक्ति नगर सैनिक के पद पर हुई थी।

वर्ष 2011 में किया गया था सस्पेंड 

प्रदेश के होमगार्ड्स के कल्याण और उनकी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उन्होंने साल 2011 में होमगार्ड सैनिक संगठन बनाया था। जिसे एसोसिएशन होम गार्ड सैनिक एवं परिवार कल्याण संघ का नाम दिया गया। इसकी जानकारी होने पर विभाग के अफसरों ने मार्च 2011 में इन्हें सस्पेंड कर दिया और शोकॉज नोटिस जारी किया। जिसके बाद अप्रैल में उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।

होमगार्ड्स के साथ पुलिस जवानों ने भी किया था प्रदर्शन 

वर्ष 2011 में गृह विभाग के अधीन संचालित होमगाड्‌र्स ने अपने मानदेय सहित सेवा में अन्य विसंगतियों को लेकर एकजुटता दिखाई थी। इसके लिए उन्होंने संघ बनाया था। होमगार्ड्स की एकजुटता को देखते हुए राज्य के पुलिस जवानों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। पुलिस परिवार के सदस्यों के साथ इन जवानों ने आंदोलन किया। जिसके बाद शासन ने सख्ती दिखाते हुए पुलिस जवानों को सस्पेंड कर दिया और उन्हें भी बर्खास्त कर दिया था। हालांकि, बाद में उनकी बहाली कर दी गई थी।

प्रदेश में पहली बार हुआ था आंदोलन

राज्य बनने के बाद पहली बार पुलिस जवानों और होमगार्ड्स एकजुट होकर अलग-अलग आंदोलन किए थे। यह पहला मौका था जब प्रदेश में वर्दीधारी पुलिस जवानों ने अपने परिवार के साथ आंदोलन किया था. जिसके बाद पुलिस अफसरों के साथ ही शासन ने उनके आंदोलन को दबाने का प्रयास किया। हालांकि, पुलिस जवानों के साथ ही उनके परिवार के सदस्य आंदोलन को बड़ा रूप देने में सफल रहे। जिसके बाद पुलिस जवानों को साप्ताहिक अवकाश सहित अन्य सुविधाएं दी गई। हालांकि, अभी भी उनकी बहुत सी मांगों को पूरा नहीं किया गया है।

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