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कोरोना की आपदा से निपटने के लिए विभागीय स्तर पर कुछ नियमों को शिथिल किया गया था जिस आधार पर करोड़ों रुपए का गोलमाल किया गया था।

रायपुर। कोरोना महामारी के दौरान आपदा को अवसर बनाकर दवा और उपकरण की खरीदी के नाम पर करोड़ों का गोलमाल किया गया था। शासन ने इस मामले में तत्कालीन एडिशनल डायरेक्टर डॉ. निर्मल वर्मा को निलंबित कर दिया है। डॉ. वर्मा को जांच समिति ने दो साल पहले अपनी रिपोर्ट में दोषी माना था, जिस आधार पर कार्रवाई की अनुशंसा भी की गई थी। कोरोना की आपदा से निपटने के लिए विभागीय स्तर पर कुछ नियमों को शिथिल किया गया था जिस आधार पर करोड़ों रुपए का गोलमाल किया गया था। इस महामारी से निपटने के लिए दवाओं सहित अन्य उपकरणों की खरीदी ऊंचे दामों पर की गई थी। 

कोरोना आपातकाल समाप्त होने के बाद इस मामले की शिकायत हुई इस आधार पर चिकित्सा शिक्षा विभाग स्तर पर गठित की गई कमेटी ने मामले की जांच की तो करीब 2.65 करोड़ की अनियमितता का पता चला था। मामले में तात्कालीन एडीशनल डायरेक्टर डॉ. निर्मल वर्मा को दोषी पाया गया था। उस दौरान चिकित्सा शिक्षा संचालक के रूप में संविदा आधार पर डॉ. एसएल आदिले कार्यरत थे और वित्तीय अधिकार डॉ. वर्मा के पास थे। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में उन्हें दोषी करार दिया था जिस आधार पर कार्यवाही की अनुशंसा की गई थी उस दौरान मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। कुछ समय पहले यह मामला पुनः चर्चा में आया और शासन ने गंभीरता दिखाते हुए डा. वर्मा का निलंबन आदेश जारी कर दिया।

बिना निविदा खरीदी का नियम कोरोना

लॉकडाउन के दौरान शासन द्वारा क्रय नियमों को संशोधित किया गया था। बनाए गए नियम क्रमांक दस के अनुसार सक्षम अधिकारी प्राकृतिक आपदा अथवा कानून व्यवस्था की विषम परिस्थितियों के आधार पर बिना निविदा के अत्यावश्यकता को अभिलिखित करते हुए खरीदी करने का पॉवर दिया गया था।

नियम के अनुरूप 

तात्कालीन अतिरिक्त संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. निर्मल वर्मा ने बताया कि, तमाम खरीदी आवश्यकता को देखते हुए नियम के आधार पर की गई थी। जांच समिति ने नियमों को नजर अंदाज कर दोषी मान लिया था। ऐसे में आपदा के दौरान काम करने वाले सारे लोगों को दोषी करार दिया जाना चाहिए।

कांकेर मेडिकल कालेज भेजे गए

चिकित्सा शिक्षा संचालनालय से हटने के बाद डॉ. निर्मल वर्मा केवल रायपुर मेडिकल कालेज में विभागाध्यक्ष कम्युनिटी मेडिसिन की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। निलंबन अवधि के दौरान उनका मुख्यालय शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय कांकेर निर्धारित किया गया है।
 

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