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खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण के आदेश के तहत बड़े होटलों, रेस्टोरेंट सहित अन्य फूड जोन को यह बताना होगा कि, उन्होंने कहां से एडिबल ऑयल की व्यवस्था की है। 

रायपुर। रोजाना खाद्य पदार्थ को तलने के लिए पचास लीटर से अधिक खाद्य तेल का उपयोग करने वाले होटल, ढाबों और फूड वेंडिंग जोन वालों को इसका हिसाब रखना होगा। खाद्य तेल के बार- बार उपयोग से सेहत पर होने वाले विपरीत प्रभाव की रोकथाम के लिए खाद्य एवं  औषधि प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। बीते सात दिन में ऐसे संस्थानों से एक हजार लीटर रीयूज्ड ऑयल संग्रहित किया गया है। सीबीडीए के सहयोग से इस तेल से बायो फ्यूल बनाने की योजना पर काम किया जा रहा है। तलने के लिए तेल के बार-बार उपयोग को रोकने के लिए विभाग द्वारा फ्राइग ऑयल मानिटर की मदद से निगरानी की जा रही है।

 खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि,  खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण के आदेश के तहत बड़े तमाम बड़े होटलों, रेस्टोरेंट सहित अन्य फूड जोन को यह बताना होगा कि उन्होंने कहां से एडिबल ऑयल की व्यवस्था की है, कितना इस्तेमाल किया है और कितना डिस्कार्ड और किस एजेंसी को किया है। अधिकारियों का कहना है कि बार-बार तलने से तेल के कई गुण बदल जाते हैं। इससे बनने वाले टोटल पोलर कंपाउंड्स (टीपीसी) से हाई बीपी, अल्जाइमर, यकृत रोग होने की आशंका बढ़ जाती है। एफएसएसएआई ने कुल ध्रुवीय यौगिकों की सीमा 25 प्रतिशत तय की है, इससे अधिक होने पर वनस्पति तेल का उपयोग नहीं किया जा सकता। नियम के अनुसार कारोबारियों को अपने यहां जमा होने वाले यूज्ड कुकिंग ऑयल की जानकारी रूको ट्रेसिबिलिटी एप पर दर्ज करनी होगी, जिससे संबंधित संस्था उसे संग्रहित कर सके।

इसकी हिदायत

■ फ्राई करते समय तेल धीमी आंच पर रखें, धुआं निकलते तक गर्म ना करें।
■ फ्राई करने के दौरान कढ़ाई में गिरे खाद्य टुकड़ों को छानकर तुरंत अलग करें।
■ फ्रायर पेन स्टेनलेस स्टील का ही उपयोग करें।

27 रुपए लीटर से खरीदी

रीपरपज यूज्ड कुकिंग ऑयल (रूको) के तहत विभाग एजूकेट एनफोर्समेंट इकोसिस्टम पर कार्य कर रहा है। इसमें खाद्य कारोबारियों को इसके प्रति जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। योजना के तहत सीबीडीए के माध्यम से इस तेल को 27 रुपए प्रति लीटर की दर से क्रय किया जा रहा है। साथ ही इस सिस्टम का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

ठेले खोमचे में कई बार उपयोग

रीयूज्ड ऑयल का उपयोग रोकने के लिए खाद्य विभाग के मैदानी अमलों को ठेले-खोमचे और छोटे होटलों पर नजर रखने की सख्त हिदायत दी गई है। बदलते कल्चर की वजह से ठेले-खोमचे में खानपान का दौर बढ़ा है और बड़े होटल रेस्टोरेंट की तुलना में सड़क किनारे की गुमटियों में समोसा, बड़ा, भजिया सहित अन्य तेलयुक्त खाद्य पदार्थों की खपत दो से तीन गुना अधिक होती है। इन स्थानों में उपयोग किए जाने वाले तेल की गुणवत्ता और खाद्य पदार्थों को तलने के लिए कई दौर में इसका उपयोग किया जाता है। खाद्य निरीक्षकों की टीम को इसके लिए फ्राइंग ऑयल मॉनिटर से जांच करने कहा गया है।

बीमारी का खतरा

खाद्य एवं औषधि प्रशासन के नियंत्रक कुलदीप शर्मा ने बताया कि,  लगातार उपयोग होने वाले तेल  में टीपीसी की मात्रा बढ़ने से गंभीर बीमारियों का खतरा होता है। इसे लेकर जागरूकता की कोशिश की जा रही है। अधिक तेल का उपयोग करने वालों खाद्य संस्थानों को इसकी जानकारी रखनी होगी।

 

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