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बस्तर संभाग में वाहनों के वायु प्रदूषण को रोकने के लिए आरटीओ का लगाम नहीं है। जिसके कारण पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। साथ ही अस्थमा के मरीजों में वृद्धि हो रही है। 

महेंद्र विश्वकर्मा- जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर जिले में वायु प्रदूषण को रोकने आरटीओ नाकाम है। साथ ही बढ़ते प्रदूषण पर अन्य विभागों को भी कोई सुध नहीं है। वाहनों से निकलने वाले धुएं के कारण स्वस्थ्य सेहत प्रभावित हो रहा है। लेकिन प्रशासन को कोई शोर खबर नहीं है। मौसम में बदलाव होने के चलते प्रदूषण बढ़ने के साथ ही अस्थमा के मरीज बढ़े हैं। बस्तर संभागीय मुख्यालय में ही वर्तमान में लगभग 400 अस्थमा के मरीज हैं, जो अस्पताल में ओपीडी में पहुंच कर इलाज कराते हैं। 

पर्यावरण संरक्षण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी एस पिस्दा ने बताया कि, बस्तर संभाग के किसी भी जिले में वायु प्रदूषण मापने का यंत्र नहीं लगा होने से यह पता नहीं चल पाता कि वायु से कितना प्रदूषण हो रहा है। इसके लिए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा इस बार एक नई व्यवस्था की जा रही है। इस पर मंडल ने 4 वर्ष पूर्व वायु प्रदूषण मापने के लिए शहर के इंद्रावती टायगर रिजर्व कार्यालय परिसर, क्षेत्रीय पर्यावरण कार्यालय परिसर एवं दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय के नगर पालिका कार्यालय परिसर में प्रदूषण मापक यंत्र लगाने का चयन किया है। इस यंत्र की स्थापना के लिए केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड के मंत्रालय दिल्ली से अब तक स्वीकृति नहीं दिया और न ही इसकी स्थापना के लिए फंड भी नहीं दिया गया। वहीं यंत्र लगाने के बाद से प्रदूषण विभाग के अधिकारी वायु प्रदूषण के आंकड़ों की लगातार एलसीडी में 24 घंटे मॉनिटरिंग करते रहेंगे।

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वायु की गुणवत्ता हो रही ख़राब

मरीजों को सावधान रहना बेहद जरूरी

शासकीय जिला महारानी अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. संजय प्रसाद ने बताया कि, अक्सर सर्दियों में सांस के मरीज की दिक्कतें बढ़ जाती हैं। गंभीर स्थिति में इसकी वजह से मरीज को अस्थमा के अटैक आने लगते हैं। अस्थमा का अटैक आने की कई वजह हो सकती हैं, जिसमें ठंड के साथ प्रदूषण भी अहम है। अस्थमा एक सांस संबंधी रोग है, जिसमें श्वसन नलियों में सूजन आ जाती है। वायु प्रदूषण और तापमान में गिरावट के साथ धुंआ भी अस्थमा के अटैक का बड़ा कारण है। वायु प्रदूषण से अस्थमा के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक है। हवा की गुणवत्ता खराब होती है तो सांस लेना मुश्किल हो जाता है और अस्थमा के लक्षण बढ़ जाते हैं, इसलिए अस्थमा के मरीजों के लिए सावधान रहना बेहद जरूरी है।

क्या है अस्थमा होने के मुख्य कारण 

विशेषज्ञों ने बताया कि, आंतरिक दहन इंजन में ईंधन जलने पर कार्बन मोनोआक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड और हाइड्रोकार्बन निकलते हैं। ये तब भी निकल सकते हैं जब वाहन के टेलपाइप से हवा और ईंधन के अवशेष निकलते हैं। ईंधन भरने के दौरान और वाहन संचालन या गर्म मौसम के कारण इंजन और ईंधन प्रणालियों से ईंधन के वाष्पित होने पर भी गैसोलीन वाष्प वायुमंडल में निकल जाते हैं। वाहनों और लॉन उपकरणों से निकलने वाले इंजन उत्सर्जन में प्रदूषक फेफड़ों के ऊतकों को नुकसान पहुंचाते हैं और अस्थमा जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों को जन्म दे सकते हैं और उन्हें बढ़ा सकते हैं। मोटर वाहन प्रदूषण भी अम्लीय वर्षा के निर्माण में योगदान देता है। प्रदूषण से ग्रीनहाउस गैसें भी निकलती हैं जो जलवायु परिवर्तन का कारण बनती हैं। 

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