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मोहला-मानपुर जिले के वानाचंल आदिवासी क्षेत्रों के अक्षय तृतीया का त्यौहार पारंपरिक रूप से मनाया गया। जहां ग्रामीणों ने प्राचीन काल से चली आ रही भिमादेव विवाह की परंपरा को निभाया। 

दीपेश पंद्रो-मोहला-मानपुर। छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर जिले के वानाचंल आदिवासी क्षेत्रों के अक्षय तृतीया का त्यौहार पारंपरिक रूप से मनाया गया। जहां ग्रामीणों ने प्राचीन काल से चली आ रही भिमादेव विवाह की परंपरा को निभाया। इस दौरान वैवाहिक गीतों के साथ नृत्य भी किया गया।

दरसअल, अक्षय तृतीया पर यहां के वानाचंल आदिवासी क्षेत्रों में प्राचीन काल से भिमादेव विवाह की परंपरा चली आ रही है। पानी की कमी और अकाल की आशंका के मद्देनजर क्षेत्र के ग्रामीणों के बीच मान्यता है कि, भिमादेव की शादी कराने से बारिश होती है और किसानों की तकलीफ दूर होती है। महिला और पुरुष सज धजकर भिमादेव की शादी करने एकत्र होते हैं और परंपरा अनुसार विवाह कराया जाता है। वैवाहिक गीतों पर महिला-पुरुषों के द्वारा अपना पारंपरिक नृत्य  किया जाता है। 

पुजारी बोले- किसानों से जुड़ा हुआ यह त्यौहार 

पुजारी जनक लाल जुरासिया ने बताया कि, छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया अक्ति का त्योहार किसान से जुड़े हुए त्यौहार हैं। इसे बडी ही धूमधाम से मनाया जाता है।वनांचल आदिवासी क्षेत्र में अक्ती तिहार का एक विशेष महत्व है। लोग अपने घरों से धान लेकर शीतला मंदिर परिसर में सभी देवी देवता को बारिश और फसल अच्छी हो इस लिए पूजा अर्चना करते हैं।

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