विकास शर्मा - रायपुर। एक छह महीने की बच्ची के भविष्य को लेकर गंभीर सवाल खड़ा हो गया है। बच्ची के पिता का आरोप है कि उसका डीएनए बच्ची से मैच ही नहीं करता। जिस अस्पताल में डिलीवरी हुई उसमें बेटे की जगह उन्हें बदलकर बच्ची दे दी गई डीएनए टेस्ट उन्होंने निजी लैब से कराया। थाने में शिकायत की गई लेकिन दो महीने में जांच आगे नहीं बढ़ी। आरोप लगा है रायपुर के पहलाजानी टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर पर । रायपुर के थाना खम्हारडीह में इसकी शिकायत दो महीने पहले की गई थी। थाना प्रभारी का कहना है कि जहां जांच चल रही है। वहीं इस मामले में टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर का कहना है कि हमने कुछ भी गलत नहीं किया है। इन सबके बीच एक बच्ची के भविष्य को लेकर गंभीर सवाल खड़ा हो गया है। उसका भविष्य क्या होगा।
उल्लेखनीय है कि, अशोक सिंह मूलतः बड़े बचेली में रहने वाले हैं और कुछ समय से रायपुर में निवासरत हैं। उन्होंने हरिभूमि को बताया कि उनका एक बेटा था जो चल बसा। पत्नी लगातार उस बेटे को फिर से पाने की इच्छा व्यक्त करती थी। मानना था कि उसका खोया हुआ बेटा दूसरे बेटे के रूप में फिर से लौट आएगा। उनकी दो बेटियां हैं। पत्नी उषा सिंह के लगातार आग्रह पर 27 अक्टूबर 2022 को आईवीएएफ के जरिए ट्रीटमेंट प्रारंभ हुआ लेकिन 6 सप्ताह के बाद 8 दिसबंर 2022 गर्भपात हो गया। वजह शारीरिक अस्वस्थता बताई गई। हॉस्पिटल ने दूसरी बार फिर से 24 अप्रैल 2023 को प्रक्रिया प्रारंभ की। पेशेंट आईडी 27824 दी गई। वे प्रक्रिया प्रारंभ करने के बाद बचेली, बस्तर चले गए और नियमित जांचें कराते रहे। दिसंबर 2023 को तबियत बिगड़ने पर रायपुर पहुंचे और पहलाजानी टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर, माता लक्ष्मी नर्सिंग होम अनुपम नगर में भर्ती कराया। अशोक सिंह का कहना है कि उषा सिंह को डाक्टर ऑपरेशन थियेटर ले गए। कुछ समय बाद जब उसे बाहर निकाला गया तो उसे बताया कि उनके घर एक बेटा और एक बेटी ने जन्म लिया है। कुछ समय बाद अस्पताल स्टाफ ने मां को जुड़वां बच्ची लाकर सौंपीं। पति- पत्नी ने जब बेटा होने के बारे में पूछा तो अस्पताल स्टाफ ने इसे सिरे से नकार दिया।
संदेह के बाद कराया डीएनए टेस्ट, एक बच्ची से मैच नहीं
अशोक का कहना है कि, उन्हें संदेह हुआ परिचितों से सलाह ली। संदेह बड़ा तो अशोक सिंह ने डीएनए टेस्ट का फैसला लिया। एक लैब से संपर्क किया। उनकी वैन पहलाजानी टेस्ट ट्यूब सेंटर परिसर में आई।वे बच्चों को लेकर नीचे गए और वैन में ही दोनों बच्चियों का सेंपल लिया गया। उसके बाद वे अस्पताल लौट आए। अशोक का कहना है कि एक बच्ची की रिपोर्ट 90 प्रतिशत मिली मगर दूसरे की मैचिंग जीरो परसेंट आई है। इसका अर्थ है कि एक बच्ची का डीएनए अशोक से मैच नहीं करता। इस मामले में उन्होंने टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर के डाक्टरों को चुनौती दी तो उन्होंने किसी तरह का संतोषजनक जवाब नहीं दिया। उसके बाद इस मामले की शिकायत थाने में की।
बच्ची के भविष्य पर सवाल
इस मामले में सबसे संवेदनशील पहलू बच्ची के भविष्य से जुड़ा है। पिता को डीएनए जांच में पता चला है कि बेटी उसकी नहीं है। वहीं अस्पताल प्रबंधन कुछ भी गलत नहीं बता रहा। थाने में शिकायत के दो महीने बाद भी अब तक कुछ ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ऐसे में बच्ची के भविष्य को लेकर सवाल खड़ा हो गया है। शासन या प्रशासन स्तर पर इस पर तथ्य परक निर्णय होना चाहिए। ताकि बच्ची को लेकर किसी तरह का संदेह नहीं रहे।
थाना प्रभारी ने कहा- जांच जारी है
अशोक सिंह ने बताया कि, कुछ शुभचिंतकों ने मामला न्यायालय में ले जाने की सलाह दी जिस पर उनकी बड़ी राशि खर्च हो गई मगर काम नहीं बना। अप्रैल में रायपुर के खम्हारडीह थाने में शिकायत दर्ज कराई। थाना प्रभारी खम्हारडीह श्रुति सिंह ने बताया कि मामले की जांच चल रही है। जांच पूरी होने के बाद ही स्पष्ट रूप से कुछ कहा जा सकेगा। दो महीने में जांच कितनी आगे बढ़ी है इसे लेकर स्पष्ट जवाब नहीं मिला है। इस बीच बच्ची छह महीने की हो गई है।
हमने कुछ गलत नहीं किया
डॉ.नीरज पहलाजानी ने बताया कि, बच्चा बदलने के मामले में लगाए गए गंभीर आरोप के मामले में पहलाजानी टेस्ट ट्यूब बेबी एवं आईवीएफ सेंटर की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज पहलाजानी ने इस आरोप से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि संस्थान में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। हमने कुछ गलत नहीं किया है। डीएनए रिपोर्ट पर भी उन्होंने कुछ कहने से इनकार किया है।