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राज्य में हर साल औसतन पांच सौ ब्रेनडेड के मामले सामने आते हैं। इसके बाद भी अंगदान शुरुआत होने के 18 माह बाद भी केवल आठ परिवार ही अंगदान-महादान का निर्णय कर पाए हैं। 

रायपुर। ब्रेनडेड होने के बाद अंगों का दान कर 11 साल के प्रखर और उसके परिवार ने समाज के सामने अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। किडनी-लिवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे सोटो में पंजीकृत 141 लोगों को ऐसे ही दानवीरों की आवश्यकता है। राज्य में हर साल औसतन पांच सौ ब्रेनडेड के मामले सामने आते हैं। इसके बाद भी अंगदान शुरुआत होने के 18 माह बाद भी केवल आठ परिवार ही अंगदान-महादान का निर्णय कर पाए हैं। राज्य अंग एवं ऊतक प्राधिकरण (सोटो) के पास अभी 122 किडनी और 19 लिवर के जरूरतमंद मरीज पंजीकृत हैं, जो प्रखर जैसे महादानियों से अंग मिलने का इंतजार कर रहे हैं। इन मरीजों के पास दान में मिलने वाले अंग के अलावा अपनी जिंदगी पूरी करने के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं है। 

राज्य में अंगदान की शुरुआत 19 नवंबर 2022 को हुई थी, तब टाटीबंध में रहने वाले एक परिवार ने ब्रेनडेड घोषित होने वाली महिला का अंगदान किया था। इस वाकये को 18 माह से अधिक का वक्त बीत चुका है। विभिन्न पंजीकृत अस्पतालों में सोटो की टीम ब्रेनडेड मरीज के परिवारों को अंगदान की महत्ता बताने सक्रिय है, मगर उन्हें अब तक केवल आठ प्रकरणों में सफलता मिल पाई है। आंकड़े चौंकाने वाले हो सकते हैं कि राज्य के विभिन्न निजी और शासकीय अस्पतालों में ब्रेनडेड के औसतन पांच सौ मामले सामने आते हैं। खासकर अस्पतालों के न्यूरो सर्जरी विभाग में ऐसे मरीजों की संख्या अधिक होती है, क्योंकि शहर में सड़क दुर्घटनाओं के मामले अधिक होते हैं। इन प्रकरणों में प्रभावित परिवार को सही समय पर काउंसलिंग नहीं मिल पाती, जिसकी वजह से वे अंगदान-महादान अभियान में भागीदार नहीं बन पाते।

आठ लोगों को जीवनदान

चिकित्सकों के मुताबिक ब्रेनडेड मरीज अपने अंगों के माध्यम से आठ जरूरतमंदों को जीवनदान दे सकता है। चिकित्सकीय प्रक्रिया के तहत किसी मरीज के ब्रेनडेड होने पर परिवार की सहमति से उसकी दोनों किडनी, लिवर, दोनों कार्निया, त्वचा, हार्ट सहित विभिन्न अंगों को दान किया जा सकता है। चिकित्सकों के अनुसार अभी सबसे अधिक समस्या किडनी की बीमारी की है, जिसके लिए अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज डायलिसिस करा रहे हैं।

हार्ट ट्रांसप्लांट का इंतजार

छत्तीसगढ़ में ब्रेनडेड मरीजों से मिलने वाले अंगों के माध्यम से जरूरतमंद मरीजों को अंग प्रत्यारोपित किया जा रहा है। यहां किडनी, लिवर, कार्निया, स्किन और हृदय के ऊतकों का इस्तेमाल अंग प्रत्यारोपण में किया जा रहा है। कुछ अस्पतालों में हार्ट ट्रांसप्लांट की अनुमति दी गई है, मगर यह प्रत्यारोपण फिलहाल शुरू नहीं किया गया है। इसे लेकर आंबेडकर अस्पताल के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में आधुनिक ऑपरेशन थियेटर भी तैयार किया जा रहा है।

बीस को मिली नई जिंदगी

प्रखर के अलावा सात अन्य लोगों द्वारा दान में दिन गए अंगों के माध्यम से कई लोगों को नई जिंदगी मिली है। इनके किडनी और लिवर के जरिए बीस मरीज अपना सामान्य जीवन जी रहे हैं। बारह लोगों को नई रोशनी मिली है और हृदय के ऊतक तथा त्वचा के माध्यम से अनेक लोगों को नई जिंदगी की शुरुआत करने में मदद मिली है।

लगातार प्रयास

सोटो के अध्यक्ष डॉ. विनीत जैन ने बताया कि, अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसमें कुछ सफलताएं भी मिली है। 11 साल के मासूम का अंगदान मील का पत्थर साबित हो सकता है। अंगदान के जरिए लोगों को जीवनदान दिया जा सकता है।

 

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