जगदलपुर। शीत ऋतु के आगमन के साथ ही विदेशी मेहमान रेड नेप्ड आइबिस का आना छत्तीसगढ़ में शुरू हो चुका है। इस समय इन्द्रावती टाइगर रिजर्व बीजापुर एवं दलपत सागर इन विदेशी मेहमानों के कलरव से गूंज उठा है। रेड नेप्ड आइबिस को इंडियन ब्लैक आइबिस भी कहा जाता है। इसका काला शरीर होता है, कंधे पर एक सफेद पैच और सिर पर एक काले रंग का धब्बा होता है।
सिर और गर्दन के पीछे वाला भाग लाल होता है। जैसे- जैसे ठंड बढ़ेगी, यहां विदेशी पक्षियों का आना प्रारंभ होगा। वल्चर कंजर्वेशन एसोसिएट आईटीआर के पक्षी विशेषज्ञ ने बताया कि रेड नेप्ड आइबिस की संख्या भारत में तेजी से घट रही है। ऐसे में इसके संवर्धन की जरूरत है।
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पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण
इंद्रावती टायगर रिजर्व बीजापुर के उप निदेशक सुदीप बलगा ने बताया कि, ऐसे पक्षियों के हर साल आगमन को जानकार एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय घटना मानते हैं। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से इसे महत्वपूर्ण माना जाता है। वंश वृद्धि रहवास के लिए इनका बस्तर आगमन होता है।
पेड़ पर घोसला बनाता है ये पक्षी
रेड नेप्ड आइबिस बहुंत तेज आवाज करता है। यह अपना घोसला बड़े पेड़ के ऊपर बनाता है। वल्चर कंजर्वेशन एसोसिएट ने कहा कि अल्प समय के लिए ही सही, लेकिन इन विदेशी मेहमानों की सुरक्षा हमारा कर्तव्य है। हम सब को मिलकर इनके संरक्षण के लिए काम करने की जरूरत है। भारतीय उप महाद्वीप में मिलने वाला यह पक्षी जीव वैज्ञानिक जाति का है। भारत के जल समूह और आर्द्रभूमियों में यह दिखाई देता है। गाढ़े रंग का पूरा शरीर होता है, लेकिन कंधों पर एक श्वेत धब्बा और सिर तथा गर्दन के पीछे का भाग लाल होता है। बड़े पेड़ों पर यह अपना घोसला तैयार करता है।