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आयुष्मान स्वास्थ्य सहायता योजना के प्रति जबरदस्त आकर्षण है। सभी सरकारी अस्पतालों के साथ राज्य के 553 निजी अस्पताल इस योजना के तहत मरीजों का इलाज करने के लिए पंजीकृत हैं।

रायपुर। निजी अस्पतालों में आयुष्मान स्वास्थ्य सहायता योजना के प्रति जबरदस्त आकर्षण है। सभी सरकारी अस्पतालों के साथ राज्य के 553 निजी अस्पताल इस योजना के तहत मरीजों का इलाज करने के लिए पंजीकृत हैं और डेढ़ सौ से ज्यादा इंपैनल्ड सूची में शामिल होने का इंतजार कर रहे हैं। नए अस्पतालों को योजना में पंजीकृत करने के लिए जिला स्तर पर निर्धारित मापदंडों को पूरा कराया जा रहा है।राज्य में आयुष्मान योजना के तहत राशनकार्ड के आधार पर लोगों को पचास हजार से पांच लाख तक निशुल्क उपचार की सुविधा पंजीकृत अस्पतालों के माध्यम से प्रदान की जाती है। योजना के तहत डेढ़ हजार बीमारियों के उपचार की सुविधा है और प्रदेश में राशनकार्ड के आधार पर इसके 2.70 करोड़ हितग्राही हैं। 

सूत्रों का कहना है कि महंगे उपचार के इस दौर में आयुष्मान मरीजों के लिए काफी मददगार साबित होता है, इसलिए पंजीकृत अस्पतालों के 80 से 90 प्रतिशत मरीज इस योजना से संबंधित होते हैं। भुगतान की राशि लंबित होने की शिकायतों के बाद भी ज्यादातर निजी अस्पताल इस योजना के तहत मरीजों का उपचार करने के इच्छुक हैं। वर्तमान में राज्य के डेढ़ सौ से अधिक निजी अस्पताल इस योजना के तहत मरीजों का उपचार करने के लिए स्वास्थ्य विभाग से अनुमति मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

कई के खिलाफ हो चुकी कार्रवाई

वर्तमान सूची में जो निजी अस्पताल शामिल हैं, उनके खिलाफ योजना में पंजीकृत मरीजों से अतिरिक्त पैसे लेने और पैकेज में गड़बड़ी साबित हो चुकी है। इन दागदार अस्पतालों के खिलाफ स्टेट नोडल एजेंसी द्वारा जुर्माना के साथ योजना से निलंबन की कार्रवाई भी हो चुकी है। ऐसे अस्पतालों की संख्या दर्जनभर से अधिक है।

एक्सटेंशन आधार पर चल रहा काम

सूत्रों के अनुसार इस योजना के तहत अस्पतालों में योजना के मरीजों के उपचार की निगरानी का काम आउटसोर्सिंग के माध्यम से किया जाता है। दोनों एजेंसियों का कार्यकाल काफी समय पहले पूरा हो चुका है और दो बार एक्सटेंशन के आधार पर काम पूरा किया जा रहा है। संबंधित एजेंसियों को इसके लिए डाक्टर उपलब्ध कराना होता है।

4.73 लाख मरीज का उपचार

सूत्रों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 में स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत 15 लाख 65 हजार मरीजों का उपचार किया गया था। इसमें 4.73 लाख मरीजों का इलाज राज्य के पंजीकृत अस्पतालों में किया गया था। सरकारी अस्पतालों में 10.92 लाख हितग्राहियों को बीमारी के उपचार का लाभ मिला था।
 

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