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बालोद में एक पिता ने अपने बेटी की समाधि स्थल में ही बना मां दुर्गा का मंदिर बनवा दिया। इस मंदिर को लेकर लोगों में ऐसी आस्था है कि, दूर- दूर से भक्त दर्शन करने आते हैं। 

राहुल भूतड़ा- बालोद। छत्तीसगढ़ के बालोद में एक पिता ने अपने बेटी की समाधि स्थल में ही बना मां दुर्गा का मंदिर बनवा दिया। इस मंदिर को लेकर लोगों में ऐसी आस्था है कि, दूर- दूर से भक्त दर्शन करने आते हैं। गुरुर ब्लाक के भूलनडबरी गांव में दुर्गेश धाम देवी का यह मंदिर है, जहां नवरात्रि में दीप प्रज्वलित होती है और यहां देवी के दर्शन से पहले बेटी के दर्शन होते हैं। 

मिली जानकारी के अनुसार, भूलनडबरी गांव के कोर्पे परिवार में 18 अक्टूबर 1988 को नवरात्रि में एक प्यारी सी बेटी ने जन्म लिया था। जिससे खुश होकर माता- पिता ने उसका नाम दुर्गेश रखा था। लेकिन दुर्गेश जन्म से ही बीमार रहने लगी और अचानक वर्ष 1996 में उसकी मृत्यु हो गई। जिसके बाद पिता मदन कोर्पे ने बेटी की समाधि खुद के खेत मे बनवा दी। 

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यह है मंदिर बनवाने की कहानी 

तभी एक दिन अचानक पिता के सपने में उनकी बेटी आई और माता का मंदिर बनाने की प्रेरणा दे कर चली गई। फिर क्या था, पिता ने एक सुंदर मंदिर का निर्माण करवा दिया। जहां बेटी की मूर्ति समाधी के ऊपर विराजित की और देवी दुर्गा की मूर्ती भी स्थापित की और फिर इस मंदिर का नाम हो गया दुर्गेश धाम। तब से लेकर आज तक इस मंदिर में रोज सैकड़ों भक्त आते हैं। श्रद्धालुओं की पहली नजर उस बिटिया के मूर्ति पर पड़ती है, जो मंदिर में प्रवेश करते ही नजर आती है। लोग पहले बिटिया दुर्गेश को प्रणाम कर फिर देवी के दर्शन करते हैं। यहां हर नवरात्रि में मनोकामना ज्योति जलाई जाती है। इस बार भी प्रदेश के कोने- कोने से भक्तो ने यहां अपनी मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित की है। 

दुर्गेश धाम में प्रज्वलित हैं 75 ज्योति कलश 

इस नवरात्रि में दुर्गेश धाम में 75 ज्योति कलश प्रज्वलित किये गए हैं। हर साल यहां नवरात्री में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। आने वाले 18 अक्टूबर को दुर्गेश का जन्मउत्सव भी हर साल की तरह इस बार भी धूमधाम से मनाया जाएगा। एक पिता के लिए अपनी बेटी के लिए बनाया गया यह मंदिर अनेक लोगों को प्रेरणा दे रहा है। 

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