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एटीएस ने जिन तीन बांग्लादेशी सगे भाइयों को इराक भागने की फिराक में मुंबई से गिरफ्तार किया है। पिछले आठ वर्षों से रायपुर में रहने की जानकारी एटीएस-पुलिस टीम को मिली है। 

रायपुर। एटीएस ने जिन तीन बांग्लादेशी सगे भाइयों को इराक भागने की फिराक में मुंबई से गिरफ्तार किया है, उनके रायपुर में पिछले आठ वर्षों से रायपुर में रहने की जानकारी एटीएस तथा पुलिस टीम को मिली है। एटीएस ने तीनों को उनकी भाषा, रहन-सहन के आधार पर लंबे अरसे से निगरानी करने के बाद गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है। एटीएस को जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक मोहम्मद इस्माइल, शेख अकबर तथा शेख साजन ने किसी शेख अली के माध्यम से रायपुर में अपना ठिकाना बनाया था। शेख अली कहां का रहने वाला है, पुलिस के साथ एटीएस इसके बारे में जानकारी जुटा रही है।

टिकरापारा टीआई विनय सिंह बघेल के मुताबिक, इस्माइल तथा उसके भाई रायपुर में रहकर कबाड़ी का काम कर रहे थे। तीनों संतोषी नगर सहित शहर के अलग-अलग इलाकों में घूम-घूमकर कबाड़ी खरीदी-बिक्री का काम कर रहे थे। तीनों भाई रायपुर में रहने के दौरान धरमपुरा के बाद मिश्रा बाड़ा में किराए पर मकान लेकर रह रहे थे। तीनों भाइयों के मोबाइल फोन जब्त कर पुलिस बांग्लादेशी नागरिकों के कॉल डिटेल खंगाल रही है।

मोबाइल की होगी फोरेंसिक जांच 

एटीएस ने तीनों बांग्लादेशी नागरिकों के मोबाइल फोन जब्त कर टिकरापारा पुलिस के सुपुर्द कर दिया है। पुलिस को आशंका है कि बांग्लादेशी नागरिकों ने मोबाइल से कई महत्वपूर्ण डेटा को डीलिट कर दिया है। डीलिट डेटा को रीकवर करने पुलिस मोबाइल की फोरेंसिक जांच करने लैब भेजेगी।

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बगदाद जाने की फिराक में थे 

एटीएस ने जिन बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है, उनके पास बगदाद जाने का वीजा मिला है। पुलिस को जो जानकरी मिली है, उसके मुताबिक कई बांग्लादेशी नागरिक रायपुर से इराक, बगदाद वीजा लेकर पूर्व में जा चुके हैं। रायपुर से कितने बांग्लादेशी नागरिक इराक गए हैं, पुलिस के पास इस बात की कोई सटीक जानकारी फिलहाल नहीं है। इस संबंध में गिरफ्तार बांग्लादेशी नागरिकों से पूछताछ के बाद कुछ बता पाने की बात कह रहे हैं।

प. बंगाल से लेकर महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ तक फैला नेटवर्क 

एटीएस तथा पुलिस ने जिन बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है, उन लोगों ने पूछताछ में बताया है कि उनका कोलकाता के साथ नागपुर आना-जाना लगा था। गिरफ्तार बांग्लादेशी नागरिकों के ज्यादातर रिश्तेदार नागपुर के साथ कोलकाता, मुर्शिदाबाद में निवासरत हैं।

रायपुर से ऐसे जुड़ा तार 

पुलिस ने जिन तीन बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है, उनके दादा की देश विभाजन के पूर्व मुर्शिदाबा  में कृषि भूमि थी। विभाजन के बाद इस्माइल के दादा पश्चिमी पाकिस्तान (बांग्लादेश)चले गए। तब से उनकी चोरी छिपे भारत में आवाजाही हो रही है। पुलिस को जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक इस्माइल के पिता और उसके परिजन उनसे मिलने चोरी छिपे नागपुर आते थे।
 
शिविर में बनवाए आधार, वोटर आईडी 

पुलिस को जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक इस्माइल तथा उसके भाइयों ने रायपुर में अली नाम के किसी लड़के की मदद से रायपुर में सत्कार कंम्प्यूटर के संचालक मोहम्मद आरिफ के पास से फर्जी स्कूल सर्टिफिकेट बनवाए। स्कूल सर्टिफिकेट बनवाने के बाद बांग्लादेशी नागरिकों ने आधार तथा वोटर आईडी कार्ड बनाने लगाए जाने वाले शिविर में पहुंचकर भारतीय नागरिकता के प्रमाण के लिए वोटर आईडी, आधार कार्ड बनवाए। वोटर आईडी, आधार के माध्यम से तीनों ने पैन कार्ड बनवाए।

यूसीसी लागू होने के बाद पकड़े जाने का डर 

देश में यूनिफार्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू होने के बाद बांग्लादेशी नागरिकों को अपने पकड़े जाने का डर सताने लगा। साथ ही उन्हें उनके बारे में पुलिस को भनक लगने की जानकारी मिल गई थी। इसे देखते हुए तीनों ने सुरक्षित ठिकाने की तलाश में पासपोर्ट के लिए आवेदन किया। पासपोर्ट बनने के बाद तीनों इराक के रास्ते बगदाद जाने वीजा बनवाया।
 

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