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बस्तर जिले के परपा थाने का जो सिपाही एंट्री वसूलते कैमरे में कैद हुआ उसे एसपी बस्तर ने सस्पेंड कर दिया है, साथ ही टीआई को लाइन अटैच कर दिया है। एसपी का यह कदम तो स्वागत योग्य है, लेकिन सवाल तो और भी कई खड़े हो रहे हैं।

रायपुर। हरिभूमि डॉट कॉम पत्रकारिता के जरिए अपने सामाजिक सरोकारों से जुड़े होने का दायित्व बखूबी निभाता आया है। सामाजिक या सार्वजनिक जीवन में जो लोग अनैतिक कामों को अंजाम देते हैं, उनका पर्दाफाश करने से हम कभी हिचकते नहीं हैं। इसी कड़ी में हमने बुधवार को बस्तर जिले के परपा थाने की पुलिस द्वारा खुलेआम बाकायदा पर्ची देकर एंट्री वसूली की खबर प्रकाशित की। खबर के साथ सिपाही के पैसे लेते और साथ ही यह स्वीकारते हुए वीडियो भी लगाया गया कि, इस तीन सौ की पर्ची लेकर आप महीने भर आराम से अपनी गाड़ी लेकर यहां से गुजर सकते हैं। 

क्या टीआई और सिपाही भर थे हिस्सेदार ? 

इस खबर पर बस्तर एसपी शलभ सिन्हा का संज्ञान लेना स्वागत योग्य है। उन्होंने जो सिपाही वीडियो में पैसे लेते और एंट्री का सिस्टम समझाते नजर आ रहा है, उसे सस्पेंड कर दिया है। उस सिपाही का नाम सुरेश भुआर्य बताया गया है। वहीं परपा थाने के टीआई दिलबाग सिंह को रक्षित केंद्र जगदलपुर में अटैच कर दिया है। यहां तक तो ठीक है। लेकिन सवाल यह उठता है कि, जब रोज सैकड़ों वाहनों से एंट्री वसूली जा रही थी, तो क्या उसे टीआई और सिपाही सुरेश भुआर्य ही अपनी जेब में रख लेते थे? क्या थाने के बाकी स्टाफकी इस खुलेआम एंट्री वसूली में कोई भूमिका नहीं थी? क्या वे इस अवैध रूप से उगाही गई रकम में हिस्सेदार नहीं थे? 

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क्या ऐसे कृत्यों को विभागीय मौन स्वीकृति है ?

चलिए मान लिया जाए कि, वे इस अनैतिक कृत्य से उगाही गई रकम में हिस्सेदार नहीं थे, तो भी क्या इस अनैतिक कृत्य को उजागर करना उनके कर्तव्यों में शामिल नहीं है? क्या दो लोगों पर मामूली कार्यवाही से इतनी बड़ी उगाही का 'पाप' धुल जाएगा? एसपी साहब क्या किसी अन्य विभाग का सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़ा जाता है तो महज चंद दिनों के लिए लाइन हाजिर या सस्पेंसन जैसी मामूली कार्यवाही के बाद बच जाता है? क्या हमारे वीडियो में दिख रही वसूली सरेआम रिश्वतखोरी नहीं है? या फिर मान लिया जाए कि, विभाग में ऐसे कृत्यों को मौन स्वीकृति मिली हुई है? इस हिदायत के साथ कि, पकड़े जाने पर छोटी-मोटी कार्यवाही तो करनी पड़ेगी। 

सरकार... क्या आपको मंजूर है इतनी मामूली कार्यवाही ? 

पिछली सरकार के दौरान हर विभाग में अवैध वसूली का आरोप लगाते नहीं थकने वाले लोग ही तो अब छत्तीसगढ़ की सत्ता संभाल रहे हैं ना, तो फिर क्या इतनी मामूली कार्यवाही उनको जायज लग रही है। अब जरा सोचिए भला, क्या इमेज बन रही होगी सरकार की... जब खुलेआम सड़क पर कुछ सिपाही खड़े होकर हर गाड़ी वाले से पैसे वसूल रहे हों। वह भी उस सड़क या उस इलाके से गुजरने मात्र के नाम पर। 

हर गाड़ी से 300 रुपये वसूलते कैमरे में हुए कैद

दरअसल यह पूरा मामला कुछ इस तरह से है। छत्तीसगढ़ के गीदम-जगदलपुर नेशनल हाईवे 63 पर परपा थाने की पुलिस हर गाड़ी वाले को बुलाकर एक स्टीकर दे रही थी। उसके बदले 300 रुपये लिए जा रहे थे। बताया जा रहा था कि, यह स्टीकर महीने भर के वेलिड है। उनका कहना था कि, इसके बदले थाना क्षेत्र की सरहद से गुजरने के लिए किसी तरह की झंझट नहीं आएगी। हमारे ऐ संवाददाता ने स्वयं उनकी इस हरकत का वीडियो बनाया। वीउियो में आप साफ देख सकते हैं कि, थाने का एक सिपाही और दूसरा छत्तीसगढ़ नगर सेना का सिपाही सरकारी बोलेरो में सड़क किनारे खड़े हैं और दस्तावेज जांच करने की बात कह रहे हैं। वे सड़क पर आते-जाते वाहनों को रोककर थानेदार के दिशा निर्देश पर एंट्री वसूल कर रहे हैं। इसका एक वीडियो भी सामने आया है। इसे पुलिसिया भाषा में महीना फीस या एंट्री फीस या फिर हफ्ता वसूली कह सकते हैं। 

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