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छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर में अब-अब छोटी-छोटी बसाहटों तक भी पक्की सड़कें बनाई जा रही हैं। इन बारहमासी पक्की सड़कों से इन इलाकों के विकास का द्वार भी खुल रहा है। 

महेंद्र विश्वकर्मा- जगदलपुर। बस्तर संभाग के अतिसंवेदनशील, घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में  नई सड़कों के निर्माण को गति प्रदान किया जा रहा है, जिससे ग्रामीणों को बारहमासी आवागमन की सुविधा उपलब्ध हो रही है। इसके साथ ही अन्य विकास कार्यों में भी तेजी आएगी। 

शासन के निर्देशानुसार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नए मार्गों का निर्माण कर पहुंचविहीन बसाहटों को पक्की सड़कों से जोड़ने का काम चल रहा है। यही कारण है कि, आजादी के बाद बीजापुर जिले के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित सिलगेर में पहली बार सड़क का निर्माण किया जा रहा है। नक्सल दहशत से सड़कें और बुनियादी ढांचा पहले यहां नहीं बनाया जा सकता था, लेकिन अब यहां सड़क का निर्माण कार्य किया जा रहा है। सिलगेर सड़क से क्षेत्र के लगभग दो दर्जन गांवों के ग्रामीण 40 किमी ब्लॉक मुख्यालय आवापल्ली एवं 70 किमी दूर जिला मुख्यालय बीजापुर आसानी से बारिश में भी आवागमन कर रहे हैं।

कैंप खुलने से सड़क बनने की राह हुई आसान

बीजापुर जिले के नेलसनार, कोडोली, गंगालूर तक सड़क निर्माण कार्य करोड़ों रूपए की लागत से किया जा रहा था। इसमें से बेचापाल तक निर्माण कार्य किया गया, पर सिलगेर गांव के ग्रामीणों ने नक्सलियों के दबाव में निर्माण कार्य का विरोध शुरू कर दिया था। इसके चलते बेचापाल गांव के बाद से सड़क का निर्माण कार्य रूक गया था, पर सुरक्षा बल कैम्प लगाने से ठेकेदार सड़क का निर्माण कार्य कर रहे हैं। 

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निरीक्षण करते विभागीय अफसर 

सीई व एसई कर रहे निरीक्षण

अंदरूनी क्षेत्र की सड़कों का पीडब्ल्यूडी के सीई जीआर रावटे एवं एसई डीएल टेकाम समय-समय पर निरीक्षण कर क्षेत्र के कार्यपालन अभियंता एवं ठेकेदारों को निर्देश दे रहे हैं। इसमें कहा कि ग्रामीण क्षेत्र की सड़कें ऐसी निर्माण करें कि ग्रामीणों को परेशानी न हो सके।

गुणवत्ता का ध्यान रखें : रावटे

लोक निर्माण विभाग जगदलपुर क्षेत्र के मुख्य अभियंता श्री रावटे ने कहा कि, निर्माण कार्य गुणवत्ता से करें अन्यथा नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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